मप्र में गौ-वंश की दुर्दशा बन रही है सियासी मुददा

By : hashtagu, Last Updated : February 22, 2023 | 12:42 pm

भोपाल, 22 फरवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में एक बार फिर सड़कों पर घूमते और दुर्दशा का शिकार बने गो-वंश (Cow) अब सियासत के केंद्र में आ रहा है। भाजपा (BJP) की शिवराज सरकार सड़क पर घूमते गौ-वंश की स्थिति पर चिंतित है और इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने पर जोर दे रही है तो वहीं कांग्रेस सत्ता में आने पर गौ-शालाएं शुरू करने का वादा कर रही है। राज्य के किसी भी इलाके में चले जाइए आपको सड़कों पर घूमते गाएं नजर आ जाएंगी। इसके चलते एक तरफ आवागमन बाधित होता है, तो हादसे भी होते हैं। इतना ही नहीं यह गौवंष किसानों की मेहनत पर भी पानी फेरते नजर आते हैं। हरी भरी फसल को बचाए रखना किसानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता, क्योंकि बड़ी तादात में यह मवेशी फसलों को अपना निशाना बनाते हैं।

प्रदेश में पशु की संख्या पर गौर करें तो संगणना 2019 के अनुसार, एक करोड़ 87 लाख गौ-वंश हैं। प्रदेश में कुल निराश्रित गौ-वंश आठ लाख 54 हजार हैं। निराश्रित गौ-वंश के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग एक लाख 84 हजार गौ-वंश हैं। मनरेगा में निर्मित एक हजार 135 गौ-शालाओं में 93 हजार गौ-वंश हैं। साथ ही 1995 गौ-शालाएं निमार्णाधीन एवं संचालन के लिए तैयार हैं। इनकी क्षमता दो लाख गौ-वंश की है। शेष पांच लाख 60 हजार गौ-वंश की व्यवस्था की जानी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौ-संवर्धन बोर्ड की समीक्षा के दौरान कहा कि प्रदेश में सड़कों एवं बाहर घूमते हुए गौ-वंश न दिखे। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बना कर गौ-शालाओं का निर्माण पूरा किया जाए। सेवा के भाव से गौ-शालाएं तैयार करने के लिए लोग आगे आएं।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाहर घूमते गौ-वंश के कारण लोगों को असुविधा नहीं हो, इसके लिए प्रयास किए जाना जरूरी है। सालरिया गौ-अभयारण्य को सफलता प्राप्त हुई है। सालरिया गौ-अभयारण्य की तरह अन्य स्थानों पर भी प्रयोग शुरू किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शर्तें पूरी होने पर गौ-शालाओं को खोलने की अनुमति दी जाए। मृत गौ-वंश एवं अन्य प्राणियों का सम्मान के साथ निष्पादन किया जाए। गौ-तस्करों पर नजर रखी जाए। गाय का गोबर और गौ-मूत्र से कई तरह के उत्पाद बनते हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गौ-शालाओं को विभिन्न उत्पादों की बिक्री के द्वारा आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए। वेस्ट-टू-बेस्ट के सिद्धान्त को अपनाया जाए। पशुपालक अपने गौ-वंश को बांध कर रखें, बाहर न छोड़ें। गौ-उत्पादों की खरीदी के लिए कार्य-योजना बने।

एक तरफ जहां सरकार लगातार गौवंष संरक्षण को लेकर चिंताएं जता रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से गौशालाओं का हाल बेहतर न होने व गौशालाएं बद करने का सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है।

कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण की योजना को मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर बहाल किया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सड़कों पर घूमते गौ-वंश से आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, किसानों की फसलों को एक तरफ यह मवेषी नुकसान पहुंचाते हैं तो वहीं हादसे बढ़ते हैं। कमल नाथ के कार्यकाल में पहल हुई थी, मगर सरकार चली गई, अब वर्तमान सरकार इस दिशा में पहल कर रही है, चुनाव आने तक इंतजार तो करना ही होगा कि आखिर होता क्या है। राजनीतिक दल है और वे वादों के जरिए लोगों को लुभाने में पीछे तो नहीं रहेंगे।