मध्य प्रदेश में किसानों से नहीं हो रही गेहूं खरीदी : माकपा
By : hashtagu, Last Updated : May 14, 2024 | 11:08 pm
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह (CPI(M) State Secretary Jaswinder Singh) ने एक बयान जारी कर कहा कि अधिकांश किसान अब तक अपना गेहूं बेच चुके हैं, मगर पिछले साल की तुलना में सरकारी खरीदी 40 फीसदी कम रही है। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में खरीदी केंद्र भी बंद पड़े हैं, जिसका खामियाजा अभी किसानों को और बाद में उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भले ही सरकार बोनस के साथ किसानों को गेहूं का दाम 2,400 रुपए देने की बात कह रही है, लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी खरीद न होने से किसानों को अपना गेहूं 2,250 से 2,350 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ रहा है। यह किसानों के साथ डबल धोखा है। पहले तो भाजपा ने विधानसभा चुनावों से पहले 2,700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने का वादा किया था। बाद में बोनस के साथ सिर्फ 2,400 रुपए देने की घोषणा की और मंडियों में वह भी किसानों को नहीं मिल रहा है।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि यह किसानों के साथ ही धोखाधड़ी और लूट नहीं है, बल्कि गरीब उपभोक्ताओं के मुंह से निवाला छीनने की साजिश भी है। यदि सरकारी खरीद नहीं होगी तो फिर सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वितरित करने के लिए गेहूं कहां से आएगा? जाहिर सी बात है कि गरीबों को बाजार से महंगे दामों पर गेहूं खरीदकर पेट भरने पर मजबूर होना पड़ेगा। माकपा ने गेहूं की सरकारी खरीद करने और किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य देकर लूट को रोकने की मांग की है।
बता दें कि राज्य में 15 मई तक गेहूं की खरीदी होनी थी। मगर, सरकार ने उसे बढ़ाकर 20 मई कर दिया है। कई स्थानों पर बारिश के कारण किसानों की फसल भी प्रभावित हुई है।
यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव : मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने दिल्ली में रोड शो कर भाजपा उम्मीदवार को जिताने की अपील की