57 साल की हथिनी अनारकली ने दिए जुड़वां शावक, पन्ना टाइगर रिजर्व में बना अनोखा वन्यजीव रिकॉर्ड
By : dineshakula, Last Updated : November 23, 2025 | 6:04 pm
By : dineshakula, Last Updated : November 23, 2025 | 6:04 pm
पन्ना, मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) में 57 वर्षीय हथिनी अनारकली ने जुड़वां मादा शावकों को जन्म देकर दुर्लभ वन्यजीव इतिहास रच दिया है। पीटीआर में यह पहली बार हुआ है कि किसी हथिनी ने एक साथ दो बच्चों को जन्म दिया हो। दोनों शावकों का जन्म लगभग तीन घंटे के अंतराल पर हुआ। डॉक्टरों और वन्यजीव विशेषज्ञों की निगरानी में माँ अनारकली और दोनों नवजात पूरी तरह स्वस्थ हैं। वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने इसे “प्रकृति का अजूबा और अत्यंत दुर्लभ घटना” बताया है, क्योंकि हाथियों में जुड़वां जन्म बेहद कम देखा जाता है।
1/n First record in Madhya Prdesh–
Female elephant (Captive – Anarkali age approx – 57 years) gave birth to twin female calves on 21/11/2025. The two births were recorded with an interval of approximately 3 hours and 30 minutes. pic.twitter.com/aPmtDZLLrx— Panna Tiger Reserve (@PannaTigerResrv) November 22, 2025
जुड़वां शावकों के आगमन के बाद पीटीआर में हाथियों की कुल संख्या बढ़कर 21 हो गई है। रिजर्व प्रबंधन ने नवजातों की देखभाल, सुरक्षा और पोषण के लिए विशेष टीम तैनात की है। फील्ड डायरेक्टर नरेश सिंह यादव के अनुसार, अनारकली को दलिया, गन्ना, गुड़ और घी के लड्डू समेत पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, ताकि वह स्वस्थ रह सके और नवजातों की देखभाल ठीक से कर सके।
अनारकली को वर्ष 1986 में पन्ना टाइगर रिजर्व में लाया गया था। वह अब तक छह बार शावकों को जन्म दे चुकी है, लेकिन यह पहला अवसर है जब उसने जुड़वां मादा शावकों को जन्म दिया है। वन विभाग के अनुसार, प्रशिक्षित हाथी जंगल निगरानी, बाघ गणना और रेस्क्यू अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जुड़वां जन्म को रिजर्व के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
पन्ना टाइगर रिजर्व भारत का 22वां तथा मध्यप्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व है, जो पन्ना और छतरपुर जिले के विस्तृत विंध्य वन क्षेत्र में फैला है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में हुई थी और 1994 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया। यह क्षेत्र आज बाघ संरक्षण, मगरमच्छ पुनर्वास और गिद्ध संरक्षण के लिए देश-विदेश में पहचाना जाता है।