लाइसेंस और दस्तावेजों में देरी पर एयर इंडिया ने पायलटों को दी चेतावनी
By : hashtagu, Last Updated : May 3, 2023 | 12:30 pm
सूत्रों के मुताबिक, यह निर्देश एयरलाइन के सुरक्षा मानकों पर चिंता के बीच आया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पायलट परिचालन उड़ानों के लिए आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करें।
ईमेल में उल्लेख किया गया है कि ऐसे मौकों पर चालक दल आवश्यक दस्तावेज प्रदान करने या लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने में विफल रहा है।
ईमेल में कहा गया है, बार-बार याद दिलाने के बावजूद कुछ चालक दल जरूरी काम नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके लाइसेंस संबंधी मुद्दों में देरी हो रही है और वे ड्यूटी करने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं जिसके कारण उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
इसमें कहा गया है कि एयर इंडिया का प्रशिक्षण विभाग पायलटों के दस्तावेजीकरण में सहायता के लिए उपलब्ध है और यदि वे इस संसाधन का लाभ नहीं उठाते हैं तो उन्हें वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ईमेल में कहा गया है कि प्रशिक्षण विभाग चालक दल के सदस्य की सहायता के लिए है ताकि वे ड्यूटी के लिए उपलब्ध रहें और उन्हें अर्थदंड न भुगतना पड़े। यदि लाइसेंस की समाप्ति से कम से कम 45 दिन पहले दस्तावेज जमा करना शुरू नहीं किया जाता है तो चालक दल सदस्य को एक कॉशन लेटर जारी किया जाएगा।
एयर इंडिया के इस कदम से विमानन उद्योग के भीतर बहस छिड़ गई है। कुछ ने सुरक्षा के लिए एयरलाइन के सक्रिय ²ष्टिकोण की प्रशंसा की है जबकि अन्य ने दंडात्मक उपायों की आलोचना की है।
हाल ही में इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) और एयर इंडिया के इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) ने एयरलाइन द्वारा प्रस्तावित नए वेतन ढांचे को खारिज कर दिया था।
विवाद की मुख्य जड़ हर महीने उड़ान भत्ता 70 घंटे से घटाकर 40 घंटे करना है जिसे पायलट अनुचित बता रहे हैं।
दोनों यूनियनों ने चेतावनी दी है कि यदि एयरलाइन प्रबंधन उनकी सहमति के बिना नए वेतन ढांचे को लागू करता है तो औद्योगिक अशांति हो सकती है। वहीं, एयर इंडिया ने कहा है कि वह अपने शेष कर्मचारियों के साथ बातचीत जारी रखेगी। एयरलाइंस ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि एयर इंडिया में कोई मान्यता प्राप्त यूनियन नहीं है।
यह टाटा समूह द्वारा पिछले साल एयरलाइन के अधिग्रहण के बाद से पेश किया गया पहला वेतन संशोधन है। इससे समूह की चार एयरलाइनों – एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयर एशिया इंडिया और विस्तारा के सभी 3,000 पायलट प्रभावित होंगे।