आर्मी चीफ बोले: ‘ऑपरेशन सिंदूर एक भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा जैसा’—22 मिनट में 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त
By : dineshakula, Last Updated : November 23, 2025 | 11:06 am
By : dineshakula, Last Updated : November 23, 2025 | 11:06 am
नई दिल्ली। आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) भारतीय सेना की अद्वितीय समन्वय क्षमता का उदाहरण था। उन्होंने इसे एक “भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा” की तरह बताया, जिसमें हर म्यूजिशियन (यानी सेना का हर हिस्सा) एकसाथ तालमेल में काम करता है। इसी बेहतरीन योजना और समन्वय की बदौलत सेना ने सिर्फ 22 मिनट में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।
दिल्ली में आयोजित न्यू दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (NDIM) के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मिलिट्री ऑपरेशन सिर्फ उस पल का फैसला नहीं होते, बल्कि यह लंबी सोच, बेहतर इंटेलिजेंस, सटीकता और तकनीक से तैयार किया गया जवाब होता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के हमलों के बाद भारत की सभी जवाबी कार्रवाई भी ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थीं। दो परमाणु शक्तियों—भारत और पाकिस्तान—के बीच चला यह 88 घंटे का सैन्य तनाव 10 मई की शाम हुए समझौते के बाद थमा।
अपने संबोधन ‘Navigating Change: The Real Constant’ में आर्मी चीफ ने तेजी से बदलती दुनिया, आधुनिक युद्ध और तकनीक की भूमिका पर भी बात की। उन्होंने छात्रों से कहा कि बदलाव के बीच अवसर छिपे होते हैं।
दुनिया में 55 से ज्यादा संघर्ष जारी:
जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज दुनिया बहुध्रुवीय टकराव के दौर में है। 55+ संघर्षों में 100 से अधिक देश सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। जियोइकोनॉमिक्स अब युद्ध जैसी रणनीति में बदल चुका है।
आधुनिक रणनीति का 6C मॉडल:
सहयोग से लेकर संघर्ष तक आज की सैन्य और भू-राजनीतिक रणनीति 6C पर आधारित है—Cooperation, Collaboration, Co-existence, Competition, Contestation और Conflict।
तकनीक ने युद्ध की परिभाषा बदल दी:
पहले सेना में कंप्यूटर दूर-दूर तक नहीं दिखते थे, लेकिन अब सेना AI, डेटा साइंस, ड्रोन और हाई-टेक नेटवर्क से युद्धक क्षमता बढ़ा रही है।
ट्रेन्च से नेटवर्क तक, राइफल से ड्रोन तक, बूट्स से बॉट्स तक—तकनीक ने सब बदल दिया।
भारतीय सेना का तेज रूपांतरण:
सेना अब त्रि-सेवा समन्वय, तेज मॉडर्नाइजेशन, ह्यूमन रिसोर्स सुधार, सिस्टम प्रोसेस अपग्रेड और उच्च कार्यक्षमता पर फोकस कर रही है।
लाखों जिंदगियों की जिम्मेदारी:
उन्होंने कहा कि वे 1.3 करोड़ सैनिकों, पूर्व सैनिकों और परिवारों के समुदाय का नेतृत्व कर रहे हैं—यह भारत की लगभग 1% आबादी है। उन्होंने कहा, “कॉर्पोरेट दुनिया कुछ सौ रिज्यूम संभालती है, हम लाखों जिंदगियां संभालते हैं जो एक आदेश पर गोलीबारी में उतरने को तैयार रहती हैं।”