कुलपतियों को विश्वविद्यालयों के समग्र कामकाज पर साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है।
अब तक अपनाई गई प्रणाली के अनुसार, आम तौर पर राज्य के विश्वविद्यालय राज्य शिक्षा विभाग के माध्यम से नियुक्ति-संबंधी या वित्तीय मामलों जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं और बाद में राज्यपाल की सहमति के लिए मामले को भेजते हैं।
हालांकि गुरुवार शाम को जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय निर्णय जैसे महत्वपूर्ण मामले में राज्य के विश्वविद्यालयों को इस मामले में राजभवन की सहमति लेनी होगी।
इस फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि अधिसूचना राज्य के शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कई मामलों के बीच सही कदम है।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा कि यह खुशी की बात है कि राज्यपाल शिक्षा के मामलों में रुचि ले रहे हैं, लेकिन यह बेहतर होगा कि वह इस मामले में राज्य शिक्षा विभाग के साथ समन्वय बनाए रखें।