38 साल पूर्व भी निकली थी ‘भारत जोड़ो यात्रा’, तब ‘बाबा आमटे’ चले थे 14 हजार किलोमीटर’

कहते हैं कि इतिहास कभी-कभी दुहराता है। जी ये सच है कि क्योंकि कभी-कभी देश काल के हालातों की वजहों से राजनीतिक यात्राएं होती आई हैं।

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  • Updated On - January 14, 2023 / 02:35 PM IST

छत्तीसगढ़। कहते हैं कि इतिहास कभी-कभी दोहराता है। जी ये सच है क्योंकि कभी-कभी देश काल के हालातों की वजहों से राजनीतिक यात्राएं होती आई हैं। लेकिन आज राहुल गांधी की चल रही यात्रा इससे अलग है। कुछ इसी तर्ज पर 38 साल पूर्व गांधीवादी व समाजसेवी बाबा आमटे (Baba Amte) ने भी भारत जोड़ो यात्रा (bhaarat jodo yaatra) निकाली थी। बस फर्क इतना था, वह  3,570 किलोमीटर की लंबी ‘भारत यात्रा’ से 11 हजार किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा’ बाब आमटे ने 1984 में निकाली थी।

यह यात्रा उन्होंने दो चरण में निकाली थी। इसमें पहले चरण में कश्मीर से कन्या कुमारी और दूसरे चरण में 1988 में कुल 5 हजार 47 किलोमीटर लंबी यात्रा निकाली थी। इस तरह बाबा आमटे दो चरणों में 14 हजार किलोमीटर चले थे। उनका मकसद था, राष्ट्र की युवा शक्ति राष्ट्र के निर्माण में लगे। यानी अगर देखा जाए तो जैसे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी देश में डर और नफरत मिटाने के लिए अपने यात्रा में 12 राज्यों से गुजर रहे हैं। वैसे ही 38 साल पूर्व बाबा आमटे 14 राज्यों में होकर भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। इसमें 35 साल तक के युवा शामिल थे। उस समय भी बाबा आमटे की भारत जोड़ो यात्रा जिस राज्य गुजरे थे, वहां लोगों ने जमकर समर्थन किया था। बाबा आमटे ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए १९८४ में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और १९८८ में अरुणाचल से गुजरात तक दो बार भारत जोड़ो आंदोलन चलाया था।

उस समय देश में देश में साम्प्रदायिकता का माहौल को खत्म करने का था उद्देश्य

‘भारत जोड़ो यात्रा’ को ३८ साल पहले निकाला था गांधीवादी समाजसेवी बाबा आमटे ने साल १९८४ में जब स्वर्ण मंदिर में सैन्य अभियान (ऑपरेशन ब्लू स्टार) के बाद तनाव का माहौल था देश की एकता और अखंडता पर खतरा पैदा हो गया था हर जगह टकराव और हिंसा का माहौल था उसी साल इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कई जगह हिंसा हुई थी और दिल्ली में सिखों के खिलाफ हुई हिंसा के बाद चारों तरफ तनाव और निराशा का माहौल था, तब गांधीव…तब गांधीवादी बाबा आमटे ने सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय अखंडता का संदेश फैलाने के लिए एक यात्रा का ऐलान किया और इसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम दिया।

आनंदवन में दलाई लामा इनसे प्रभावित होकर मिले थे।

70 वर्षीय बाबा आमटे की यात्रा में युवाओं ने लिया था भाग

70 साल की उम्र में बाबा आमटे के जोश को देखकर युवा खुद ब खुद उनके भारत यात्रा से जुड़ गए थे। इनकी कन्याकुमारी से एक साइकिल रैली में लगभग १०० युवकों और १६ महिलाओं का नेतृत्व किया, खास बात यह थी कि इस यात्रा में शामिल सभी सवा सौ लोगों की उम्र ३५ साल से कम थी ,जिन्हें वे या यूथ इमरजेंसी सर्विस कहते थे। गौरतलब है कि बाबा आमटे की इस यात्रा में उन्होंने युवाओं को ही शामिल किया था, क्योंकि उस वक्त में देश का युवावर्ग या तो खुद हिंसात्मक गतिवधियों में संलिप्त था या फिर उससे प्रभावित।

ऐसे में बाबा आमटे ने ऐसे युवाओं में सुधार के लिए उन्हे अपनी रैली का हिस्सा बनाया। यात्रा की शुरूआत बाबा आमटे ने कन्याकुमारी से एक साइकिल रैली से शुरू की, जिसमें उनके साथ तकरीबन १०० युवक और १६ महिलाओं का काफिला शामिल था। बताया जाता है कि इस यात्रा में शामिल हुए लोगों की उम्र ३५ साल से कम थी, सिवाय बाबा आमटे के। दरअसल बाबा आमटे ने ७० साल की उम्र में इस यात्रा का नेतृत्व किया था, वो चाहते थे कि देश की युवाशक्ति पत्थरबाजी और आगजनी जैसे हिंसक कार्यों को छोड़ राष्ट्र और समाज निर्माण में जुट सके।

हिंसा के दौर से गुजर रहे देश में एकता की अलख जगाने की थी कवायद

असल में, ये यात्रा आज से ३ दशक पहले १९८४ में निकाली गई थी, जब देश ऑपरेशन ब्लू स्टार यानी स्वर्ण मंदिर में सैन्य अभियान के बाद हिंसा के दौर से गुजर रहा था। वहीं देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तो देश में सिखों के खिलाफ दंगे ही भड़क गए थे। भारत संप्रदायिकता की आग में जल रहा था, ऐसे में उस वक्त में गांधीवादी समाजसेवी बाबा आमटे ने देश में सामाजिक एकता लाने के उद्देश्य से पूरे भारत में यात्रा करने की ठानी। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा ले चुके बाबा आमटे ने देश को जोड़ने वाली अपनी यात्रा को नाम दिया ‘भारत जोड़ो यात्रा’और निकल पड़े एकता की अलख जगाने।

Bharat Jodo Yatra Baba Amte

नर्मदा बचाओ आंदोलन

१९९० में, बाबा आमटे ने मेधा पाटकर के नर्मदा बचाओ आंदोलन (नर्मदा आंदोलन बचाओ) में शामिल होने के लिए आनंदवन छोड़ दिया। आनंदवन जाते समय बाबा ने कहा, च्च्मैं नर्मदा के किनारे रहना छोड़ रहा हूं। नर्मदा सामाजिक अन्याय के खिलाफ सभी संघर्षों के प्रतीक के रूप में राष्ट्र के होठों पर झूमेंगी। बांधों के स्थान पर, नर्मदा बचाओ आंदोलन ने शुष्क खेती प्रौद्योगिकी, जल विकास, छोटे बांध, सिंचाई और पेयजल के लिए लिफ्ट योजना, और मौजूदा बांधों की दक्षता और उपयोग में सुधार के आधार पर एक ऊर्जा और पानी की रणनीति की मांग की।

अपनी यात्रा के दौरान ग्रामीणों से मिलते बाबा आमटे।

बाबा आमटे की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

बाबा आमटे ने अपने गुरु महात्मा गांधी के उदाहरण के बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पहल की थी। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में लगभग सभी प्रमुख आंदोलनों में भाग लिया और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूरे भारत में जेल गए नेताओं की रक्षा करने के लिए वकीलों को संगठित किया।