लातूर, महाराष्ट्र: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल (Shivraj Patil) का शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र के लातूर में उनके गृह नगर में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। परिवारिक सूत्रों के मुताबिक, पाटिल का निधन उनके निवास ‘देवघर’ में हुआ, जहां वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को किए जाने की संभावना है।
शिवराज पाटिल अपने पीछे एक पुत्र शैलेश पाटिल, बहु अर्चना पाटिल और दो पोतियों को छोड़ गए हैं। अर्चना पाटिल ने पिछले साल लातूर शहर से विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के अमित देशमुख के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर पाईं।
पाटिल का राजनीतिक सफर 1966 से 1970 तक लातूर नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में शुरू हुआ था। इसके बाद वह दो बार विधायक बने और 1977 से 1979 के बीच महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
उन्होंने लातूर लोकसभा सीट से सात बार चुनाव जीते और 1991 से 1996 तक लोकसभा के दसवें अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा दी। हालांकि, 2004 में वह भाजपा की रुपताई पाटिल नीलंगेकर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। पाटिल राजीव गांधी और पीवी नरसिंह राव सरकार में केंद्रीय रक्षा, वाणिज्य और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे। वह 2004 से 2008 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे, लेकिन 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
2010 से 2015 तक वह पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में भी कार्य कर चुके थे।
पाटिल को उनकी शालीनता और गरिमा के लिए जाना जाता था। पार्टी के एक नेता के अनुसार, वह कभी भी व्यक्तिगत हमलों में नहीं उलझते थे, न ही सार्वजनिक भाषणों में और न ही निजी बातचीतों में। उनकी अद्वितीय अध्ययनशीलता, व्यापक ज्ञान और संविधान के मामलों में गहरी समझ के कारण उन्हें संसद में एक सम्मानित और प्रभावशाली नेता माना जाता था।
पाटिल के निधन से कांग्रेस पार्टी में शोक की लहर है, और उनकी उपस्थिति की कमी को लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।