‘बंदी छोड़ दिवस’ पर भक्तों ने टेका स्वर्ण मंदिर में माथा

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  • Publish Date - November 1, 2024 / 10:25 AM IST

अमृतसर, 1 नवंबर (आईएएनएस)। सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद साहब (Hargobind Saheb, the sixth Guru of Sikhs) की जहांगीर की कैद से रिहाई की खुशी में मनाए जाने वाले ‘बंदी छोड़ दिवस’ (Prisoner leave day) के अवसर पर शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं ने स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सरोवर में पूजा-अर्चना की और पवित्र डुबकी लगाई।

मंदिर परिसर में सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल हरमंदिर साहिब स्थित है। बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर हरमंदिर साहिब को एलईडी लाइटों से जगमग कर दिया गया। एलईडी लाइटों की रोशनी से यह शानदार दिखाई दे रहा था। इस पवित्र दिन पर मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालुओं ने यहां इकट्ठा होकर पूजा अर्चना की। मंदिर प्रशासन ने इस पवित्र दिन को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर के गुंबदों, इमारतों और फर्शों को साफ किया और रोशनी से सजाया।

इस दिन को सिख धर्म में ‘बंदी छोड़ दिवस’ (कैदी मुक्ति दिवस) के रूप में मनाया जाता है। इतिहास की बात करें तो आज ही के दिन सिखों के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद, 1619 में ग्वालियर जेल से मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा कैद से 52 राजकुमारों के साथ रिहा होने के बाद अमृतसर लौटे थे।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अनुसार, सिख धर्म को पनपने से रोकने के लिए मुगल बादशाह जहांगीर ने श्री गुरु हरगोबिंद साहिब को ग्वालियर किले में कैद कर लिया था। जहांगीर बीमार पड़ गया और तमाम कोशिशों के बावजूद ठीक नहीं हो पाया। अपनी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सूफी संत साईं मियां मीर ने जहांगीर को गुरु हरगोबिंद साहिब को रिहा करने की सलाह दी थी।

इसके बाद गुरु हरगोबिंद साहिब ने अकेले रिहा होने से इनकार कर दिया। जहांगीर ने कहा कि जो कोई भी कैद गुरु का पल्ला (वस्त्र का अंतिम भाग) पकड़कर बाहर आ सकता है, उसे रिहा कर दिया जाएगा। गुरु ने एक विशेष वस्त्र सिलवाया, जिसे पहनकर 52 कैद राजकुमारों को जेल से रिहा किया गया।

अमृतसर पहुंचने पर सिखों ने मिट्टी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया।

एसजीपीसी का कहना है, “इस दिन गुरु हरगोबिंद साहब की रिहाई की याद में बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है।” लखनऊ से अमृतसर पहुंचे एक श्रद्धालु ने आईएएनएस को बताया, “यह दुनिया के सर्वाधिक पूजनीय पूजा स्थलों में से एक है, जहां लाखों श्रद्धालुओं के बीच की शांति आपको ईश्वर से शांतिपूर्वक जुड़ने का मौका देती है।”