पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ अब भी सरकारी बंगले में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिखा पत्र

By : hashtagu, Last Updated : July 6, 2025 | 10:48 am

नई दिल्ली: पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के सेवानिवृत्त होने के आठ महीने बाद भी सरकारी आवास खाली न करने पर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तत्काल बंगला खाली करवाने की मांग की है। कोर्ट ने साफ किया है कि 5, कृष्णा मेनन मार्ग स्थित यह बंगला अब न्यायालय के हाउसिंग पूल में लौटाया जाना जरूरी है, क्योंकि वर्तमान में चार न्यायाधीशों को अभी तक सरकारी आवास नहीं मिला है।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। नियमों के अनुसार, सेवानिवृत्ति के बाद वे अधिकतम छह महीने तक टाइप VII सरकारी बंगले में बिना किराए के रह सकते हैं, लेकिन उन्होंने टाइप VIII बंगले में अब तक बने रहने का विकल्प चुना, जिसमें वे अपने कार्यकाल के दौरान रहते थे।

सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा 1 जुलाई 2025 को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह अनुमति 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है और 2022 के नियम 3B के अनुसार निर्धारित छह माह की अवधि भी 10 मई 2025 को समाप्त हो गई है। ऐसे में अब बंगले पर कोई वैध अधिकार नहीं बचता।

इस बंगले को लेकर पेच इसलिए भी उलझा कि चंद्रचूड़ के दोनों उत्तराधिकारी – पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई – ने इस सरकारी आवास में रहने की बजाय अपनी मौजूदा आवास व्यवस्था को बरकरार रखा।

इस मुद्दे पर जब मीडिया ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वह जबरदस्ती नहीं रह रहे हैं, बल्कि पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन्हें समय लग गया। “मेरी बेटियों को विशेष ज़रूरतें हैं, और हमें एक उपयुक्त घर की तलाश थी। फरवरी से हम प्रयास कर रहे हैं। होटल और सर्विस अपार्टमेंट्स की भी कोशिश की, लेकिन काम नहीं बना,” उन्होंने बताया।

उन्होंने यह भी कहा कि 28 अप्रैल को उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर 30 जून तक रहने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि यह तीसरी बार था जब उन्होंने विस्तार की मांग की थी। साथ ही उन्होंने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई से भी बातचीत कर भरोसा दिलाया कि वह जल्द ही बंगला खाली कर देंगे।

सरकार ने उन्हें एक किराए के अस्थायी आवास का आवंटन किया है, जो दो वर्षों से खाली पड़ा था और अब उसकी मरम्मत और नवीनीकरण हो रही है। “मेरे अधिकतर सामान पैक हो चुके हैं। जैसे ही मरम्मत पूरी होगी, मैं शिफ्ट हो जाऊंगा। यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है। मैं जानबूझकर रुका नहीं हूं, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था,” उन्होंने कहा।

सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि दिसंबर 2024 में जब उन्होंने पहले बार एक्सटेंशन मांगा था, तब न्यायमूर्ति खन्ना ने उन्हें अप्रैल 2025 तक वहां रहने की अनुमति दी थी, और इसके लिए उन्हें प्रति माह ₹5,430 लाइसेंस शुल्क देना था। इसके बाद मौखिक आग्रह पर मई 2025 तक अनुमति दी गई, लेकिन यह भी साफ किया गया था कि आगे कोई बढ़ोत्तरी नहीं दी जाएगी।

अब इस समयसीमा के भी समाप्त हो जाने पर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से कहा है कि बिना किसी और देरी के बंगला वापस ले लिया जाए, ताकि अन्य न्यायाधीशों को तत्काल आवास मिल सके।