नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। भारत का रक्षा निर्यात (India’s defense exports) वित्त वर्ष 2013-14 के 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रूपये (Rs 16,000 crore) तक पहुंच गया है। शुक्रवार को यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कही।
राष्ट्रपति ने शुक्रवार को भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सेवा के अधिकारियों (आईओएफएस) और भारतीय रक्षा लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। यह अधिकारी राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति से मुलाकात करने पहुंचे थे।
उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे ऐसे समय में उनकी सेवाओं में शामिल हुए हैं जब देश स्थानीय और वैश्विक स्तर पर व्यापक रूपांतरण के दौर से गुजर रहा है। नई प्रौद्योगिकियों के उद्भव और नवीनतम तकनीकों तथा सूचनाओं के विश्व के हर हिस्से में त्वरित गति से फैलने के साथ, एक विकसित राष्ट्र के निर्माण और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आईओएफएस अधिकारी रक्षा प्रणालियों में स्वदेशीकरण के प्रेरक और सूत्रधार होंगे और उनसे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम करने की उम्मीद की जाएगी। यह जरूरी है कि आईओएफएस अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए विकास कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लें और भारत को रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएं।
राष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे देश के सशस्त्र बलों के वित्तीय पहलुओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे रक्षा क्षेत्र के भीतर कुशल वित्तीय प्रबंधन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी पेशेवर ईमानदारी और अपने मजबूत प्रशिक्षण मॉड्यूल के आधार पर आईडीएएस अधिकारी रक्षा बलों में वित्तीय विवेकशीलता को बढ़ावा देने और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम होंगे। उन्होंने उनसे रक्षा प्रणालियों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए लेखापरीक्षण और लेखांकन के लिए नवीनतम तकनीकों और तरीकों को अंगीकार करने की अपील की।