ज्वेलर की 19 वर्षीय बेटी हैदराबाद में बनेगी जैन योगिगी
By : hashtagu, Last Updated : January 13, 2024 | 10:31 pm
योगिता सुराना अपने मारवाड़ी जौहरी पिता द्वारा प्रदान की जा सकने वाली कई सांसारिक सुख-सुविधाओं को पीछे छोड़ते हुए जीवनभर पंखे, लाइट, टूथब्रश, साबुन, शैम्पू जैसी चीजों का उपयोग नहीं करेंगी।
योगिता एक राजस्थानी जैन कन्या हैं। वह अपने पारिवारिक व्यवसाय को संभाल सकती थीं, लेकिन उन्होंने मोक्ष प्राप्त करने के लिए योगिनी बनने का विकल्प चुना है।
वह अगले सप्ताह हैदराबाद में जैन समाज में आयोजित एक समारोह में योगिनी बन जाएंगी। उन्होंने कहा कि योगिनी बनने के लिए दीक्षा लेने से पहले उन्होंने खुद को सांसारिक इच्छाओं वाली कन्या से ऐसी साध्वी में बदल लिया, जिसे कुछ नहीं चाहिए।
योगिता ने कहा, ”बचपन में मेरी कई इच्छाएं थीं, जैसे पायलट, सीए और आईएएस अधिकारी बनना। लेकिन जैसे-जैसे में बड़ी हो रही थी, मेरा मन बदल रहा था। इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। मैं खुद को इच्छाओं और सांसारिक सुख-सुविधाओं से अलग करना चाहती थी।”
योगिता ने कहा, ”मैं हमेशा सांसारिक सुख से बाहर निकलकर ‘मोक्ष’ पाना चाहती थी और इसीलिए मैं योगिनी बन रही हूं।” उनके माता-पिता पद्मराज सुराना और सपना सुराना, बड़ी बहन भावना और छोटी बहन प्राची उनके विचार से सहमत हैं।
योगिता ने बताया, ”मेरे फैसले से शुरू में मेरे माता-पिता को झटका लगा। बाद में मेरी मां ने मुझे समझा और सपोर्ट किया। इसके बाद मेरे पिता ने भी समर्थन किया। हमारे समुदाय में माता-पिता दोनों के लिए यह स्वीकार करना आवश्यक है कि उनके बच्चे बड़े होकर स्वतंत्र इच्छा रखें।”
समुदाय के नेता स्वरूपचंद कोठारी ने कहा, “जैन धर्म दिशा को एक सामान्य व्यक्ति को जैन भिक्षुणी या भिक्षु में बदलने की प्रक्रिया को आठवां आश्चर्य मानता है।”
हाथियों, ऊंटों और घोड़ों के साथ एक धार्मिक जुलूस निकाला जाएगा, जिसमें जीवन में परिवर्तन से पहले लड़की को आखिरी बार उसके बेहतरीन कपड़े पहनाए जाएंगे। जैन धर्म में योगिनी बनने की एक लंबी प्रक्रिया है।
योगिता ने कहा, “पिछले वर्ष मुझे सभी आध्यात्मिक शिक्षाओं से तैयार किया गया था। अब अंतिम समारोह लंबा होता है और पांच दिनों तक चलता है। इसमें करीब 50,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।”
योगिता ने अपनी पढ़ाई बंद कर दी है। वह हिंदी, तेलुगू और अंग्रेजी बोलती हैं। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने तीनों बेटियों को अपनी जिंदगी में जो भी करना है, उसे चुनने की आजादी दी है।
योगिता ने आगे कहा, “मैं आंतरिक शांति चाहती हूं जो अन्य सांसारिक संपत्तियों और सुख-सुविधाओं से अधिक महत्वपूर्ण है।”