नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह (JNU Professor Swaran Singh) ने बांग्लादेश में जारी राजनीतिक संकट (Political crisis continues in Bangladesh) पर सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में लगातार राजनीतिक अस्थिरता बने रहने की आशंका है, क्योंकि पिछले करीब 15 सालों से शेख हसीना वहां की सबसे बड़ी नेता रही हैं। हालांकि, उनके चयन पर हमेशा से ही सवाल उठाए जाते रहे, लेकिन उनके कद का कोई भी नेता वहां नहीं है।
अब अटकलें लगाई जा रही है कि वहां के सेनाध्यक्ष सरकार चलाएंगे। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि वहां लोकतंत्र बहाल होने में समय लगे। इससे वहां के आम लोगों का नुकसान होगा, बल्कि भारत का भी नुकसान होगा, क्योंकि भारत के रिश्ते बांग्लादेश से बहुत अच्छे रहे हैं। अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में भारत के रिश्ते बांग्लादेश से बहुत अच्छे रहे हैं। ये रिश्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शेख हसीना द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप बने हैं। अब शेख हसीना प्रधानमंत्री नहीं रहेंगी, तो इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा हो, जिससे निकट भविष्य में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जिन लोगों ने सत्ता पलटी है, उन लोगों के मन में भारत को लेकर गुस्सा है। अगर ऐसे में वहां पर उनके मतलब की सरकार बनती है, तो भारत को चौकन्ना रहने की आवश्यकता है। ऐसे में निकट भविष्य में भारत को लेकर कई तरह की चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।”
उन्होंने कहा, “शेख हसीना का 1971 से ही भारत के साथ अच्छा रिश्ता रहा है। उनका हर दलों से रिश्ता अच्छा रहा है। अब उनको भारत शरण देगा या नहीं, इसे लेकर चर्चा जारी है, लेकिन अभी जो खबर सामने आ रही है, उसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि वे भारत में तो हैं, लेकिन वे यहां नहीं रहेंगी। हालांकि, माना जा रहा है कि वे इंग्लैंड में शरण ले सकती हैं। मुझे लगता है कि भारत का ध्यान इस ओर जरूर रहेगा कि उनकी सुरक्षा में किसी भी प्रकार की आंच ना आए। मुझे लगता है कि जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है, तब तक वे भारत में ही रहेंगी।” भारत का रूख बांग्लादेश को लेकर कैसा रहेगा?, इस पर प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा, “भारत को बांग्लादेश से अपनी साझेदारी और तालमेल बनाना होगा। आपने देखा होगा कि इससे पहले जब म्यांमार ने तख्तापलट हुआ था, तो भारत ने उनसे अपने संबंध नहीं बनाए थे, ना ही किसी भी प्रकार का संवाद स्थापित किया था।
अगर बांग्लादेश में सेना सरकार बनाती है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि भारत संपर्क स्थापित करे, क्योंकि वहां पिछले कुछ दिनों से इस्लामिक शक्तियां सक्रिय हुई हैं।” उन्होंने आगे कहा, “शेख हसीना की भारत से दोस्ती अच्छी रही। बांग्लादेश की आवामी लीग की चीन से भी अच्छी दोस्ती है, तो यदि आवामी लीग हट जाती है, तो बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) और वहां के मुस्लिम दल मिलकर सरकार बना सकते हैं। इससे पाकिस्तान और चीन का प्रभाव आने वाले दिनों में बढ़ेगा। ऐसे में भारत को चौकन्ना रहना होगा और यह कोशिश करनी होगी कि जो भी सरकार बने, उसके साथ संवाद स्थापित करें।”