श्रीनगर, 9 जनवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान (Pakistan) की आईएसआई (ISI) की सी विंग कश्मीर को लेकर लगातार अपनी रणनीति बदल रही है। यह देखते हुए कि कश्मीर (Kashmir) तेजी से सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है, विशेष रूप से आतंकवाद (Terrorism) और हिंसा के कृत्यों में भारी कमी देखी गई है, ऐसा प्रतीत होता है कि सुधार प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए पाकिस्तानी एजेंसियां ड्रग (Drugs) और नशीले पदार्थो की आपूर्ति के लिए आतंकी मॉड्यूल का उपयोग कर रही हैं। पाकिस्तानी एजेंसियां केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में शांतिपूर्ण और रचनात्मक माहौल को नष्ट करने का इरादा रखती हैं। इस प्रदेश ने हाल के दिनों में बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी देखी है और साथ ही युवाओं के लिए शिक्षा व रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं।
जैसा कि पाकिस्तान (Pakistan) की अर्थव्यवस्था (Economy) गंभीर स्थिति में है और सरकार (Government) की ओर से आतंकवादी मॉड्यूल को धन देना बंद कर दिया गया है, पाकिस्तान (Pakistan) की एजेंसियां भारत में नशीले पदार्थो की तस्करी करके धन जुटाने की कोशिश कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस (Police) की हालिया जांच में यह भी सामने आया है कि पिछले तीन महीनों के दौरान इस तरह के एक मॉड्यूल के प्रमुख तहमीद खान द्वारा बाजार में 5 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 5 किलोग्राम नशीले पदार्थो की तस्करी पाकिस्तान से की गई है। इसमें से लगभग 2 किलो नशीला पदार्थ बरामद कर लिया गया है, लगभग एक किलो नशेड़ियों के बीच बेचा जा चुका है और लगभग 2 किलो का पता लगाया जाना बाकी है।
चालू वर्ष के दौरान जिले में 161 व्यक्तियों के खिलाफ 85 मामले दर्ज किए गए हैं। मादक पदार्थो की तस्करी में शामिल 33 लोगों को हिरासत में लेकर पीएसए (पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट) के तहत विभिन्न जेलों में रखा गया है।
मॉड्यूल के भंडाफोड़ ने कश्मीर घाटी में नशीले पदार्थो को पंप करने में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संचालकों की प्रत्यक्ष संलिप्तता को फिर से उजागर किया है, जिसका उद्देश्य कश्मीरी युवाओं को बर्बाद करना है।
इस विशेष मामले में मूल रूप से केरन का रहने वाला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी हैंडलर शाकिर अली खान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के भारतीय हिस्से में अपने बेटे तहमीद खान को नशीले पदार्थो का मुख्य आपूर्तिकर्ता बनाया है।
अवैध हथियारों और गोला-बारूद के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लेने के बाद उसने फिर से घुसपैठ की और केरन में कुछ समय के लिए हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के शीर्ष सक्रिय आतंकवादियों में से एक बना रहा। सुरक्षा बलों की पहरेदारी को महसूस करते हुए खान ने फिर से नियंत्रण रेखा पार की और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में घुसपैठ कर ली और अब एक शीर्ष आतंकवादी हैंडलर है, जो घाटी में हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थो की आपूर्ति में भी शामिल है।
नशीली दवाओं और नशीले पदार्थो की तस्करी का उद्देश्य युवा दिमाग को भ्रष्ट करना और हाइब्रिड आतंकवाद को बढ़ावा देना है, यानी आम नागरिकों और युवाओं के बीच एक आतंकवादी मानसिकता पैदा करना, जो अपने रोजमर्रा के काम और शिक्षा के कारोबार में लगे हुए हैं।
अगर युवाओं में नशे की लत को बढ़ावा दिया जाए तो उन्हें पागल करने और पागलपन का इंजेक्शन लगाने का काम आसान हो जाता है। इसलिए भारत सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।
पाकिस्तानी आतंकी मॉड्यूल भारत में अपने आकाओं को दवा और नशीले पदार्थो के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद पहुंचाने के दौरान सीमा निगरानी को छोड़ने के लिए ड्रोन तकनीक का भी उपयोग कर रहे हैं।
बीते दिसंबर में भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने नियंत्रण रेखा पर नौ ड्रोनों को मार गिराया था। अधिकांश ड्रोन या तो पाकिस्तान रेंजर्स के परिसरों के भीतर से संचालित किए जाते हैं या रेंजरों की चौकियों के ठीक पीछे तस्करों और आतंकवादियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विशेष परिसरों से।
पाकिस्तान प्रतिष्ठान द्वारा आतंक का वित्तपोषण किया जाना किसी से छुपा नहीं है। यहां तक कि एक बहुपक्षीय फोरम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में भी पाकिस्तान को यह साबित करना पड़ा कि उसने पिछले साल ग्रे लिस्टिंग को जारी रखने से बचने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंस के खिलाफ कार्रवाई की है। पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में दो बार नीचे खिसक गया था। साल 2022 के अंत तक अमेरिकी नियामकों द्वारा पाकिस्तान से धन के अवैध चैनलाइजेशन को भी दंडित किया गया था।
एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के उल्लंघन के लिए अमेरिकी नियामकों द्वारा लगाए गए जुर्माने के तौर पर पाकिस्तान के दो बड़े बैंकों हबीब बैंक लिमिटेड (एचबीएल) और नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने 2022 में क्रमश: 225 मिलियन डॉलर और 55 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर केंद्रित नाटो रक्षा शिक्षा संवर्धन कार्यक्रम (डीईईपी) 2022 की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक ‘नार्को असुरक्षा, इंक’ है, में कहा गया है कि पाकिस्तान की सैन्य जासूसी एजेंसी आईएसआई की मदद से नार्को-व्यापार संभव हुआ। आईएसआई ने जिहादी समूह के साथ हमदर्दी दिखाते हुए नशीले पदार्थो की तस्करी के लिए कई गुप्त अभियान चलाए।