रिलायंस पावर के CFO अशोक पाल गिरफ्तार, 68 करोड़ की फर्जी गारंटी का आरोप

By : hashtagu, Last Updated : October 11, 2025 | 1:46 pm

नई दिल्ली: रिलायंस पावर लिमिटेड (Reliance Power) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक कुमार पाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फंड गड़बड़ी के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। उन पर ₹68.2 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी और इनवॉइसिंग के जरिए फाइनेंशियल मैनिपुलेशन का आरोप है।

ED ने उन्हें 10 अक्टूबर की देर रात पूछताछ के बाद अरेस्ट किया और 11 अक्टूबर को दिल्ली की एक विशेष अदालत में पेश किया, जहां उन्हें दो दिन की रिमांड पर भेजा गया। अब उन्हें 13 अक्टूबर को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा।

ED का कहना है कि अशोक पाल ने रिलायंस ग्रुप की दो कंपनियों—रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL)—से ₹12,524 करोड़ के लोन पास किए, जिनमें से अधिकांश अनिल अंबानी की ही अन्य कंपनियों को दिए गए थे। इन लोन को मंजूर करने में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ और पैसों को गलत तरीकों से ट्रांसफर किया गया।

अनिल अंबानी पर भी ED और CBI की जांच

ED की यह जांच रिलायंस ग्रुप के खिलाफ चल रही बड़ी जांच का हिस्सा है। अगस्त 2025 में ED ने अनिल अंबानी से भी पूछताछ की थी और मुंबई में 35 जगहों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें 50 कंपनियां और 25 से ज्यादा लोग जांच के दायरे में आए थे।

CBI ने 18 सितंबर को यस बैंक लोन फ्रॉड मामले में अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोप है कि यस बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर ने अनिल अंबानी की कमजोर आर्थिक स्थिति वाली कंपनियों को गलत तरीके से लोन दिलवाए और बदले में अपने परिवार की कंपनियों को लाभ पहुंचाया।

फर्जीवाड़े की रणनीति

ED की जांच में सामने आया कि यह पूरा मामला एक सुनियोजित योजना का हिस्सा था जिसमें:

  • कमज़ोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन दिए गए

  • एक ही एड्रेस और डायरेक्टर के जरिए कई कंपनियां बनाई गईं

  • फर्जी दस्तावेजों पर लोन पास हुए

  • लोन की राशि ग्रुप की अन्य कंपनियों में घुमा दी गई

  • पुराने लोन चुकाने के लिए नए लोन दिए गए (लोन एवरग्रीनिंग)

केस की शुरुआत कैसे हुई?

CBI ने यह केस 2022 में यस बैंक के चीफ विजिलेंस ऑफिसर की शिकायत पर दर्ज किया था। CBI और ED दोनों ने अनिल अंबानी, राणा कपूर, उनके परिवार के सदस्यों और कई कंपनियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

अब इस मामले में जांच एजेंसियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं और भविष्य में और भी गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।