माओवादी पार्टी में फूट: सोनू ‘मुख्यधारा’ में आने को तैयार, देवुजी बोले- बंदूकें नहीं रखेंगे
By : dineshakula, Last Updated : September 29, 2025 | 1:10 pm
Maoist Internal Conflict: देश में माओवादी आंदोलन अब दो राहों पर खड़ा है। माओवादी पार्टी के भीतर विचारों का टकराव सामने आया है, एक तरफ सोनू हैं, जो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आने की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर देवुजी, जो इसे ‘धोखा’ मानते हुए संघर्ष को और तेज करने की वकालत कर रहे हैं।
तेलंगाना इंटेलिजेंस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह आंतरिक मतभेद अब खुलकर सामने आ चुका है। दोनों नेता, मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू और थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी, तेलंगाना से ही हैं और लंबे समय से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में रहे हैं। सोनू पार्टी के वैचारिक चेहरे के रूप में जाने जाते हैं, जबकि देवुजी संगठन के सैन्य विंग और अब पार्टी के महासचिव के रूप में सक्रिय हैं।
इस फूट का संकेत तीन चिट्ठियों से मिला, जो कुछ ही हफ्तों के भीतर सामने आईं। पहली चिट्ठी 15 अगस्त को लिखी गई और 17 सितंबर को सार्वजनिक की गई, जिसमें सोनू ने केंद्र सरकार से बातचीत की पेशकश की और कहा कि पार्टी अस्थायी रूप से हथियार छोड़ने को तैयार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पार्टी के पूर्व महासचिव बसवराजू भी इसी विचारधारा को मानते थे।
लेकिन इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज करते हुए तेलंगाना राज्य कमेटी ने 19 सितंबर को दूसरी चिट्ठी जारी की। यह चिट्ठी ‘जगन’ नामक प्रवक्ता ने जारी की और साफ किया कि सोनू की राय केवल उनकी निजी राय है, पार्टी की नहीं।
इसके बाद तीसरी चिट्ठी आई जो कि केंद्रीय कमेटी, पोलित ब्यूरो और दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय कमेटी की ओर से जारी की गई। इसमें सोनू के बयान को “विश्वासघात” कहा गया और साफ कर दिया गया कि पार्टी की नीति कभी भी हथियार डालने की नहीं रही है।
चिट्ठी में लिखा गया, “हथियार डालना शोषित जनता के साथ धोखा है। बदलते हालात हमारी लड़ाई को खत्म करने का नहीं, बल्कि और मजबूत करने का संकेत दे रहे हैं।”
सूत्रों के अनुसार, यह चिट्ठी देवुजी के समर्थन से जारी की गई थी, जिन पर ₹1 करोड़ का इनाम घोषित है और जो जगतियाल से हैं। सोनू, जो पेद्दापल्ली से हैं, उन पर भी ₹1 करोड़ का इनाम है।
पार्टी में यह विचारधारात्मक टकराव पिछले एक साल से जारी है। इसी दौरान सोनू की पत्नी तारक्का ने महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण किया और उनके भाई किशनजी की पत्नी पद्मावती ने हाल ही में तेलंगाना में सरेंडर किया।
2024 में पार्टी ने एक पोलित ब्यूरो दस्तावेज़ जारी किया था, जिसमें स्वीकार किया गया कि संगठन कमजोर हो चुका है और रणनीतिक रूप से पीछे हटने की ज़रूरत है।
एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि पार्टी के वैचारिक धड़े का एक हिस्सा अब लोकतांत्रिक रास्ता अपनाने की सोच रहा है, जबकि दूसरा धड़ा अभी भी हथियारबंद संघर्ष में विश्वास करता है। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि पहले भी कई उग्रवादी समूह, जैसे CPI (ML), हथियार छोड़कर लोकतांत्रिक रास्ते पर आए हैं।”
यह आंतरिक विभाजन ऐसे समय पर हुआ है जब माओवादी संगठन पर सुरक्षा बलों का दबाव पहले से कहीं अधिक है। पार्टी की केंद्रीय समिति, जिसमें पहले 19 सदस्य हुआ करते थे, अब घटकर 10 रह गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह संकट का समय है और पार्टी के दो अलग-अलग गुट इसका अलग-अलग जवाब दे रहे हैं—एक बदलाव चाहता है, दूसरा टकराव।”



