अंतरिक्ष से आई भारत के गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की पहली तस्वीर, मुस्कुराहट और वैज्ञानिक मिशन से दिल जीता

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूछे गए सवाल पर शुभांशु शुक्ला ने कहा था कि अंतरिक्ष से कोई सीमा नजर नहीं आती, बल्कि पूरी पृथ्वी एकजुट दिखती है।

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  • Publish Date - July 6, 2025 / 07:30 PM IST

Subhanshu Shukla in Space: अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की पहली तस्वीर सामने आई है, जो देशवासियों का दिल छू रही है। इस तस्वीर में शुभांशु, आईएसएस के मशहूर गुंबद से धरती की ओर देख रहे हैं। उनके चेहरे की मुस्कुराहट और आत्मविश्वास यह दिखाता है कि वह स्वस्थ, खुश और पूरी तरह से मिशन के लिए समर्पित हैं। 26 जून को वे 14 दिनों के मिशन पर आईएसएस पहुंचे थे और तब से लगातार वैज्ञानिक प्रयोगों में जुटे हैं।

एक्सिओम स्पेस की जानकारी के मुताबिक शुभांशु समेत क्रू के अन्य सदस्य – कमांडर पैगी व्हिटसन, स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और टिबोर कपू – अब तक 9 दिन अंतरिक्ष में बिता चुके हैं। वे रिसर्च, टेक्नोलॉजी डेमो और ग्लोबल आउटरिच जैसे कई कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जिनका मकसद न केवल अंतरिक्ष को बेहतर तरीके से समझना है, बल्कि पृथ्वी के लिए भी उपयोगी समाधान तलाशना है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूछे गए सवाल पर शुभांशु शुक्ला ने कहा था कि अंतरिक्ष से कोई सीमा नजर नहीं आती, बल्कि पूरी पृथ्वी एकजुट दिखती है। उन्होंने अंतरिक्ष से भारत की विशालता की बात कही और मानवता की भावना को सबसे ऊपर बताया। हालांकि इसरो ने अब तक शुभांशु की कोई आधिकारिक तस्वीर या वीडियो जारी नहीं किया है, जिससे लोग उनकी अंतरिक्ष यात्रा को सीधे देख सकें।

शुक्ला ने आईएसएस पर मायोजेनेसिस जांच जैसे प्रयोग किए हैं, जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि बिना गुरुत्वाकर्षण के मांसपेशियां कैसे प्रभावित होती हैं और उन्हें स्वस्थ रखने के उपाय क्या हो सकते हैं। उन्होंने स्पेस माइक्रो एल्गी प्रयोग के तहत सैंपल भी इकट्ठा किए, जो भविष्य में भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के स्रोत बन सकते हैं। इसके अलावा ‘स्प्राउट्स प्रोजेक्ट’ के तहत उन्होंने बीजों की सिंचाई की और इस प्रयोग से यह जाना जाएगा कि अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि कैसे होती है।

भारत के इस पहले गगनयात्री की ये गतिविधियां भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही हैं। शुभांशु शुक्ला न केवल अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, बल्कि विज्ञान और तकनीक की नई उम्मीद भी जगा रहे हैं।