फ़सल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम : Quiz और डिबेट की प्रतियोगिता में ‘विनायक मनी त्रिपाठी’ पुरस्कृत
By : madhukar dubey, Last Updated : December 7, 2023 | 10:29 pm
- इस कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, ड़ॉ. नरेंद्र रघुबंशी ने मुख्य अतिथि का स्वागत तथा छात्र/छात्राओं को सम्बोधित किया तथा साथ ही साथ फसल अवशेषों को जलाने कि घटना हमारे देश में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश में होता है।
वाराणसी जिले में किसानों द्वारा पराली जलाने कि समस्या न के बराबर है। एक टन धान का पुवाल जलाने से 5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 3 किलोग्राम फोस्फोरस, 25 किलोग्राम पोटेशियम तथा 2 किलोग्राम सलफर जल कर राख हो जाता है। इसी प्रकार खेत में पराली के ऊपर पूसा वेस्ट डीकमपोज़र का प्रयोग करके 30 से 35 दिन में सड़कर गल जाता है और इसको मिट्टी में मिलाकर मिट्टी कि उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकी पर मुख्य अतिथि विपिन चंद्र राय, प्राचार्य ने फ़सल अवशेष जलाने से होने वाले नुक़सान जैसे कि मृदा, पानी तथा हवा द्वारा प्रदूषण से होने वाले दुसप्रभाव पर विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक ड़ॉ अमितेश कुमार सिंह फसल अवशेष प्रबंधन में क़ृषि में मशीनों जैसे कि मल्चर, रोटावेटर, सुपर सीडर तथा हैप्पी सीडर का प्रयोग करके पराली का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के अध्यापक सूर्यभान पाल ने किया।
इस कार्यक्रम में क्विज एवं डिबेट प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया और पुरस्कार भी वितरण किया गया। क्विज प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार हीना बानो, द्वितीय पुरस्कार अनंत पाल तथा तृतीय पुरस्कार नंदनी पटेल और डिबेट प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार आनंद देव शर्मा, द्वितीय पुरस्कार नम्रता पटेल तथा तृतीय पुरस्कार आशीष मौर्या और विनायक मनी त्रिपाठी ने प्राप्त किया। इस कार्यक्रम में लगभग 100 से छात्र एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
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