सहारनपुर, 22 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सहारनपुर (Saharanpur) के बरसी गांव में ‘होलिका दहन’ नहीं किया जाता। गांव के लोगों का मानना है कि अगर यहां होलिका दहन किया गया तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। इसलिए यहां ‘होलिका दहन’ नहीं किया जाता है।
स्थानीय महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर ‘होलिका दहन’ करने पास के गांव जाती हैं। बरसी गांव में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह महाभारत जितना पुराना है।
मान्यता के अनुसार, मंदिर कौरवों और पांडवों द्वारा बनाया गया था। लेकिन कुछ असहमति के कारण, पांच पांडवों में से एक भीम ने अपने ‘गदा’ का इस्तेमाल कर मंदिर के प्रवेश द्वार की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर बदल दी।
इस वजह से लोगों का मानना है कि गांव में भगवान शंकर का शिवलिंग स्थापित है, जो स्वयंभू शिवलिंग है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर यहां आते हैं। होलिका दहन से भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। यही वजह है कि बरसी गांव में होलिका दहन नहीं होता है।
ग्राम प्रधान आदेश चौधरी ने कहा कि होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं पास के गांव तिक्रोल जाती हैं। मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ, लेकिन यह हमेशा से ऐसा ही रहा है। यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है। किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा।