श्री श्री विश्वेश्वर वैदिक गुरुकुलम में ‘मना उपनयन संस्कार’ उत्सव! देश के कोने-कोने से पहुंचे बटुक…VIDEO और तस्वीरों में एक झलक

By : hashtagu, Last Updated : July 8, 2024 | 9:32 pm

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वाराणसी। श्री श्री विश्वेश्वर वेद संरक्षण फाउण्डेशन द्वारा संचालित श्री श्री विश्वेश्वर वैदिक गुरुकुलम् (Sri Sri Vishweshwar Vedic Gurukulam) लेन0- 10 महामनापुरी कालोनी करौंदी BHU वाराणसी इस वर्ष सामुहिक उपनयन संस्कार (Mass upanayana rites)  8 जुलाई को प्रातः 8 बजे से लेकर सायं चार बजे तक यज्ञोपवीत संस्कार की सभी वैदिक एवं लौकिक शास्रीय दिशा में बटुकों को संस्कारित किया गया। यह कार्यक्रम दुर्गाकुंड के साकेत मण्डप में वैदिक रीति से सम्पन्न हुआ।

  • गुरुकुल के संस्थापक आचार्य विकेश दुबे सह-संस्थापक पदमाकर दुबे ने मीडिया के माध्यम से लोगों को सूचना देते हुए कहा कि वैदिक गुरुकुलम् भारतीय ज्ञान परम्परा में सन्निहित ज्ञान से समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है। यम-नियम पालन करते हुए यहां बटुकों को संस्कार सम्पन्नता के साथ वेद विद्या मे दक्षता प्रदान की जा रही है। ऋषि परम्परा में हमारे यहां जिस तरह सोलह संस्कारों का वर्णन है। जीवन में ये संस्कार ही हमें सदाचार एवं सद् प्रवृत्ति की ओर अग्रसर करते हैं।यज्ञोपवीत द्विजत्व का चिन्ह है। कहा भी है-मातुरग्रेऽधिजननम् द्वितीयम् मौञ्जि बन्धनम्।अर्थात्-पहला जन्म माता के उदर से और दूसरा यज्ञोपवीत धारण से होता है।

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आचार्य उपनयमानो ब्रह्मचारिणम् कृणुते गर्भमन्त:। त रात्रीस्तिस्र उदरे विभत्ति तं जातंद्रष्टुमभि संयन्ति देवा:।। अर्थात्-गर्भ में रहकर माता और पिता के संबंध से मनुष्य का पहला जन्म होता है। दूसरा जन्म विद्या रूपी माता और आचार्य रूप पिता द्वारा गुरुकुल में उपनयन और विद्याभ्यास द्वारा होता है। वेद मंत्रों से अभिमंत्रित एवं संस्कारपूर्वक कराये यज्ञोपवीत में 9 शक्तियों का निवास होता है। जिस शरीर पर ऐसी समस्त देवों की सम्मिलित प्रतिमा की स्थापना है, उस शरीर रूपी देवालय को परम श्रेय साधना ही समझना चाहिए। वेद अध्ययन हेतु गुरुकुल में लगभग बीस नूतन छात्रों ने प्रवेश लिया है।

  • वेद विद्या के अध्ययन हेतु यज्ञोपवीत संस्कार अत्यावश्यक होता है। यज्ञोपवीत संस्कार से हीन वेदाध्ययन का अधिकारी नहीं होता है। गुरुकुल के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व में वैज्ञानिक आधार परक तथा जो पूर्णतया विज्ञान तथ्यों पर आधारित सनातन है उसके उन्नयन हेतु श्री श्री विश्वेश्वर वेद संरक्षण फाउण्डेशन कार्यरत है। गुरुकुल के वेदाध्यापक वेदमूर्ति श्री सुन्दरम् शुक्ल एवं किशन उपाध्याय के आचार्यत्व में सम्पूर्ण उपनयन संस्कार की विधियां वैदिक रीति से सम्पन्न हुई और काशी के महान् आचार्यों का बटुकों को आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। इस दौरान बटुक विनायक तिवारी सहित बड़ी संख्या में बटुकों का उपनयन संस्कार हुआ।

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