जयपुर, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान के मतदाताओं ने शनिवार को अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद सड़कों पर फिर से सन्नाटा पसर गया है। बहरहाल, राजनीति और सत्ता के गलियारों में सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की किस्मत को लेकर चर्चा हो रही है। जीते तो चौथी बार बनेंगे सीएम? और अगर वह हार गए तो क्या यह उनके राजनीतिक करियर (Political career) पर पर्दा है?
कांग्रेस आलाकमान ने इस बार विधानसभा चुनाव में बिना चेहरे के उतरने की घोषणा की थी, जिसका मतलब है कि अभी तक कोई आधिकारिक सीएम उम्मीदवार नहीं है। अगर पार्टी दोबारा रेगिस्तानी राज्य जीतती है तो पार्टी नेतृत्व यह फैसला बाद में लेगा।
कुछ कांग्रेस नेताओं का दावा है कि अगर पार्टी जीतती है तो गहलोत चौथी बार सीएम बनेंगे, वहीं पार्टी के कुछ नेता ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि गहलोत को चौथी बार सीएम बनने का मौका नहीं मिलेगा।
एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, ”गहलोत तीन बार सीएम रह चुके हैं। इस बार ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जिनकी हार निश्चित है। दरअसल, पहले तय हुआ था कि ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें मौका दिया गया है। गहलोत चाहते थे कि वे चुनाव लड़ें। अब अगर वे हारे तो जिम्मेदारी उन्हें ही लेनी होगी, इसलिए आलाकमान ने गेंद उनके पाले में डाल दी है ताकि चुनाव में जो भी नतीजा आए उसकी जिम्मेदारी वह ले सकें।”
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, ”ऐन वक्त पर इस एजेंसी ने सचिन पायलट, राहुल गांधी, सोनिया और प्रियंका गांधी के चेहरों को चुनाव प्रचार में उतारा, जब सभी सर्वेक्षणों ने संकेत दिया कि पार्टी सीटों की संख्या में 70 का आंकड़ा पार नहीं कर रही है।”
राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भंडारी ने कहा कि अशोक गहलोत के सीएम बनने की संभावना बहुत कम है। अगर वह सत्ता में नहीं आए तो उनके पास एक ही पद बचेगा, वो हैं ‘विपक्ष के नेता’ का। हालांकि आलाकमान यह पद सचिन पायलट या सीपी जोशी में से किसी एक को देगा।
उन्होंने कहा, “अभी एक और मुद्दा है और वह यह है कि गहलोत के नेतृत्व में एक युवा नेतृत्व तैयार नहीं किया गया है जिसने यहां एक चुनौती पेश की है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि गहलोत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में वरिष्ठ पद पर योगदान देंगे और उनके अनुभव से पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर फायदा होगा।