कांग्रेसी खुद नक्सल समस्या की जननी और संरक्षक हैं- विकास मरकाम

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता के बयान जिसमे उन्होंने नक्सलवाद पर भाजपा को

  • Written By:
  • Updated On - September 20, 2024 / 09:26 PM IST

नक्सलियों की टूटती कमर से अर्बन नक्सल चिंता में; विकास मरकाम

रायपुर/ भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम (Vikas Markam)ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता के बयान जिसमे उन्होंने नक्सलवाद(racism) पर भाजपा को नाकाम बताने की कोशिश की थी उस पर जबरदस्त प्रहार किया है। मरकाम ने कहा है कि पहले तो कांग्रेस को नक्सलवाद पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नही है क्योंकि ये खुद नक्सल समस्या की जननी और संरक्षक है। हर बार नक्सली कार्रवाई पर पहला विलाप कांग्रेसियों का ही आता है। इस बार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवम गृहमंत्री विजय शर्मा द्वारा नक्सल पीड़ित परिवारजनों को केंद्रीय गृहमंत्री से मिलवाने पर कांग्रेस के पेट में दर्द होने पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि किसी बड़े नक्सली के मारे जाने पर भी इनके पेट में सबसे पहले ऐंठन मरोड़ होने लगती है।

विकास मरकाम ने बताया कि 16 अप्रैल को सुरक्षा बलों के एक बड़े ऑपरेशन में कुख्यात नक्सली कमांडर समेत 29 दुर्दांत नक्सली ढेर हो जाते है तब इनके नेता भूपेश बघेल सुरक्षा बलों की पीठ थपथपाने के बजाए कहते है भाजपा शासनकाल में फर्जी नक्सली मुठभेड़ होते हैं। बीते चार महीनों के दौरान ऐसे मामले बढ़े हैं। बस्तर में पुलिस पर आरोप लगाते हैं कि भोले-भाले ‘आदिवासियों’ को डराती है। जैसे ही उनके बयान की चौतरफा आलोचना शुरू हुई, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ सुरक्षा बलों की तारीफ की। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत नक्‍सलियों को महिमामंडित करने का काम करती दिखती हैं, वह मारे गए नक्‍सलियों को ‘शहीद’ बताती हैं। 25 लाख के इनामी नक्सली के ढेर होने पर कांग्रेस कहती है जो शहीद हुए हैं उनकी जांच होनी चाहिए। राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन का नक्‍सली समर्थक बयान सामने आ चुका है। सांसद रंजीत रंजन ने नक्‍सलियों को भोला-भाला इंसान करार दिया था। वास्‍तव में कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के दौरान नक्सलवाद को मुख्यधारा में ला खड़ा किया। उन्होंने सलाह दी कि पार्टी को अपना नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (माओवादी) या माओवादी कांग्रेस पार्टी कर लेना चाहिए।

विकास मरकाम ने कहा जब कोई नक्‍सली पुलिस मुठभेड़ में मारा जाता है तो उसके नेता नक्‍सली के घर जाकर उसे श्रद्धांजलि देने में भी परहेज नहीं करते। छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर रीजन के कांकेर में मारे गए माओवादी (नक्सली) नेता सिरीपेल्ली सुधाकर उर्फ शंकर राव के घर कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता और तेलंगाना की कांग्रेस सरकार में मंत्री अनुसुइया दनसारी उर्फ सीताक्का अभी कुछ दिन पहले ही पहुंची थीं। उनका इससे जुड़ा वीडियो भी वायरल है। यह सर्वविदित है कि नक्सली आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति सुधाकर कई हिंसक घटनाओं में शामिल था और सुरक्षा बलों को उसकी तलाश थी। शर्म आनी चाहिए कांग्रेसियों को जो सुरक्षा बलों के शहीदों के परिवारों से हमदर्दी रखने के बजाए नक्सलियों से हमदर्दी रखती है। ये वही लोग है जो अर्बन नक्सलियों से मिलकर देश की आंतरिक सुरक्षा को चोट पहुंचाने तक से भी परहेज नहीं करते।

विकास मरकाम ने कहा पिछले 10 सालों में केंद्र की भाजपा सरकार के आक्रामक कार्रवाई के परिणाम स्वरूप आज नक्सली बीजापुर नारायणपुर की छोटी सी गुफा में सिमट कर रह गए है। 2024 के PLGA सप्ताह के ठीक पहले नक्सली पर्चा जारी कर स्वीकार किया की लगातार हो रहे एनकाउंटर और सरेंडर के चलते उनकी कमर टूट गई है। उनके पास लाल लड़ाके नही है। नक्सलियों की कमर टूट गई है आत्मसमर्पण की संख्या बढ़ी है। नक्सली वारदातों में गिरावट आई है। स्थानीय लोगों का विश्वास विकास और शांति की ओर बढ़ा है, लेकिन पूर्ण सफाया में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेसी नेताओं का नक्सली समर्थन रवैया है, शहरों में बैठे पंजा छाप अर्बन नक्सल है इससे कांग्रेसियों को बाज आने की हिदायत विकास मरकाम ने दी।

उन्होंने कांग्रेस से प्रश्न पूछा, झीरम कांड संदर्भ में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा के मांग के बौजूद कांग्रेस सरकार ने बड़े कांग्रेसी नेताओं का नार्को टेस्ट क्यों नही कराया? सुकमा विधायक कवासी लखमा जो हमले में अकेले जीवित बचे उनका नार्को टेस्ट क्यों नही कराया? जिन कांग्रेसियों पर अपने ही बड़े नेताओं की हत्या के साजिश के आरोप हो उन्हे दूसरों पर प्रश्न उठाने का कोई अधिकार नहीं है।

विकास मरकाम ने कहा भाजपा डबल इंजन के साथ बस्तर के विकास में पूरा दम झोक रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए सड़क और पुल बनाए जा रहे हैं। इस वर्ष अभी तक 90 किलोमीटर लंबी 16 सड़कों, 2 पुलों और 72 पुलियों का निर्माण किया गया है। 118 मोबाइल टावर भी स्थापित किए गए हैं। सुरक्षाबलों के प्रत्येक शिविर के प्रत्येक शिविर के आसपास के 5-5 गांवों तक नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना सहित सभी सरकारी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है। सामुदायिक पुलिसिंग के कारण भी ग्रामीणों का नक्सलियों से मोह भंग हो रहा है। राज्य में नक्सली घटनाओं पर कुशल अनुसंधान एवं अभियोजन की प्रभावी कार्रवाई के लिए राज्य अन्वेषण एजेंसी का गठन किया गया है।