पटना, 10 सितंबर (आईएएनएस)। अगले साल होने वाले संभावित लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच, विपक्षी दलों के गठबंधन (Alliance of opposition parties) में शामिल दलों ने बिहार में सीटों को लेकर अपनी-अपनी दावेदारी (Their Respective claims) भी ठोंक दी है। सबसे गौर करने वाली बात है कि ‘इंडिया’ की मुंबई में हुई तीसरी बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर किस राज्य में किस पार्टी को कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने हैं, इसे लेकर भी चर्चा की गई थी तथा एक समन्वय समिति का भी गठन भी कर लिया गया था, लेकिन पार्टियों ने खुद के घाटे की आशंका को लेकर अपनी-अपनी दावेदारी शुरू कर अपना-अपना ‘राग’ अलापना शुरू कर दिया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में जो सीटें मिली थीं उनमें वाल्मीकिनगर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर, मुंगेर, पटना साहिब और सासाराम संसदीय सीटें शामिल थी।
इधर, भाकपा (माले) ने भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को एक पत्र लिखकर सीटों को लेकर दावेदारी की है।
भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि ‘इंडिया’ की मुंबई में हुई बैठक में राज्य स्तर पर सीट बंटवारे की बात कही गई है।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर अपना एक प्रस्ताव राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को 4 सितंबर को भेजा है। उन्होंने संभावना जताते हुए है कि सीटों की शेयरिंग जल्द ही हो जाएगी। उन्होंने हालांकि दावेदारी को लेकर सीटों की संख्या नहीं बताई।
इधर, सूत्र बताते हैं कि भाकपा माले ने आठ से 10 सीटों पर दावेदारी की है।
पिछले महीने बिहार के दौरे पर आए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने भी इशारों ही इशारों में सीटों को लेकर अपनी दावेदारी पेश की थी। उन्होंने कहा था कि बिहार में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव 20 लोकसभा क्षेत्रों पर रहा है। यहां पार्टी सम्मानजनक सीट की मांग करेगी।
ऐसी स्थिति में साफ है कि जिस प्रकार पार्टियों द्वारा दावेदारी शुरू की गई है, उसमें बिहार विधानसभा में सबसे बड़े दल राजद और गठबंधन में शामिल जदयू को अब बड़ा दिल दिखाना होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव से अगले साल होने वाले चुनाव में सियासी परिदृश्य बदली हुई होगी। जदयू पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थी, जबकि उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन के साथ थी। इस बार ये दोनों पार्टियां एनडीए के साथ है।
पिछले चुनाव में एनडीए के साथ रहे जदयू ने 17 सीटों पर लड़कर 16 में जीत दर्ज की थी, जिनमें आठ सीटों पर राजद और पांच पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। वहीं, 19 सीटों पर लड़ने के बावजूद राजद के हाथ एक भी सीट नहीं लगी थी, जबकि नौ सीटों पर लड़ी कांग्रेस एक पर ही कब्जा जमा पाई थी।
ऐसी स्थिति में राजद और जदयू पिछले चुनाव की जितनी सीटों की मांग कर सकती है। अगर, दोनों दलों ने इन सीटों पर दावेदारी ठोंक दी और अड़ी रही तो सीट बंटवारा आसान नहीं होगा। हालांकि कहा जा रहा है कि राजद और जदयू एक-दो सीटें छोड़ सकती है।
बिहार में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कांग्रेस और भाकपा-माले द्वारा की जा रही मांग पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता और बिहार के पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि यहां कोई विवाद नहीं है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि ये पूरा मामला मिल-बैठकर आराम से तय होने वाला है। उन्होंने कहा कि यह सिर फुटौव्वल एनडीए गठबंधन में है। हमारे यहां तो विवाद होने का सवाल ही नहीं है।
बहरहाल, अगले साल होने वाले चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन को सबसे ज्यादा माथापच्ची सीट बंटवारे को लेकर ही करनी होगी, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि कौन पार्टी बड़ा दिल दिखाएगी।’