जयपुर, 12 दिसंबर (आईएएनएस)| क्या राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में टकराव खत्म हो गया है या राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के समापन के बाद कुछ बदलाव आएगा? राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के रविवार को हिमाचल प्रदेश में नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए एक साथ एक ही विमान से यात्रा करने के बाद से राज्य के राजनीतिक हलकों में ये यह सवाल पूछे जा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी के सभी नेता एकजुट हैं और एक साथ यात्रा करना कोई दिखावा नहीं है।
गहलोत और पायलट बूंदी के कापरेन से एक ही हेलीकॉप्टर से जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से चार्टर प्लेन से दिल्ली गए और फिर साथ में शिमला पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि गहलोत और पायलट के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों नेताओं का एक साथ यात्रा करना उनकी एकता का प्रदर्शन है, रमेश ने बूंदी जिले के लबन गांव में कहा, हम एक हैं। भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से एक नया माहौल बनाया गया है। हम एक संगठन के सदस्य के रूप में एक हैं।
इससे पहले राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में कहा था कि ये दोनों नेता कांग्रेस के लिए ‘संपत्ति’ हैं। उन्होंने कहा था, गहलोत एक अनुभवी, बहुत वरिष्ठ नेता हैं, सचिन पायलट युवा हैं, लोकप्रिय हैं। संगठन को दोनों की जरूरत है।
पायलट के खिलाफ गहलोत की हालिया तीखी टिप्पणी ने विवाद को हवा दे दी थी जिसके कारण पार्टी ने हस्तक्षेप किया था। एक साक्षात्कार में गहलोत ने कहा था कि पायलट एक गद्दार हैं, जो उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रतिस्थापित नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया और राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की। उनकी टिप्पणी पर पायलट ने कहा कि था कि इस तरह कीचड़ उछालने से कोई लाभ नहीं है।
इस बीच पायलट हिमाचल की जीत के लिए वाहवाही बटोर रहे हैं, क्योंकि वह राज्य में चुनाव के लिए पार्टी के एक पर्यवेक्षक थे। इसके अलावा गहलोत का प्रदर्शन सवालों के घेरे में है, क्योंकि वह गुजरात चुनाव में पार्टी के पर्यवेक्षक थे, जहां पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया।
अब इसलिए सभी की निगाहें अब भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर टिकी हैं कि क्या इसके बाद नेतृत्व में कोई बदलाव होता है या अगले साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव तक वर्तमान नेतृत्व ही काम करता रहेगा।