“मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं”: सड़क सुरक्षा पर नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा, "जब मैं अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सम्मेलनों में भाग लेता हूं, तो मुझे अक्सर महसूस होता है कि मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।

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  • Publish Date - December 12, 2024 / 04:37 PM IST

दिल्ली: भारत के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सड़क सुरक्षा पर एक गंभीर टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेते समय उन्हें अक्सर अपनी आँखें झुकी हुई और चेहरा छिपाने की कोशिश करनी पड़ती है। उन्होंने यह बयान उस कड़वी सच्चाई को उजागर करते हुए दिया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या विश्व के अन्य देशों की तुलना में अधिक है।

गडकरी ने कहा, “जब मैं अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सम्मेलनों में भाग लेता हूं, तो मुझे अक्सर महसूस होता है कि मैं अपना चेहरा छिपाने की कोशिश करता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर बहुत उच्च है, जो उनकी जिम्मेदारी को और भी कठिन बना देती है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए गडकरी ने बताया कि सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा कई पहल की जा रही हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए लोगों की मानसिकता और व्यवहार में बदलाव की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को एक सामूहिक प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए और इसमें सभी की भागीदारी जरूरी है।

गडकरी ने यह भी बताया कि सरकार सड़क सुरक्षा के लिए नई तकनीकों को लागू कर रही है, जिनमें स्मार्ट सिग्नल, दुर्घटनाओं को कम करने के लिए वाहन सुरक्षा मानक, और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि “रोटेशनल लाइट” और “स्मार्ट रोड” जैसी तकनीकें सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद कर सकती हैं।

सड़क सुरक्षा को लेकर गडकरी ने स्पष्ट किया कि सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन यह केवल सरकारी प्रयासों से नहीं हो सकता। लोगों को भी सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा और उनके मानसिकता में बदलाव लाना होगा। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे सड़क पर चलते वक्त सुरक्षित रहें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर विश्व के अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है। गडकरी ने यह स्वीकार किया कि यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन उनका मानना है कि समय रहते सही कदम उठाए गए तो इसे कम किया जा सकता है।