कोलकाता, 19 मार्च (आईएएनएस)। इस बार लोकसभा चुनाव में हुगली सीट (Hooghly seat) पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सीट पर अभिनेत्री से नेता बनी दो महिला प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है, जिसमें से एक मौजूदा सांसद हैं और एक दशक से राजनीति में सक्रिय है तो दूसरी अनुभवहीन।
जहां भाजपा ने हुगली से मौजूदा सांसद लॉकेट चटर्जी (MP Locket Chatterjee) को फिर से उम्मीदवार बनाया है, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेत्री से नेता बनी और लोकप्रिय रियलिटी शो ‘दीदी नंबर 1’ की एंकर रचना बनर्जी को मैदान में उतारा है। दूसरी ओर, मैदान में सीपीआई (एम) की युवा राज्य समिति के सदस्य और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता मोनोदीप घोष भी हैं, जो रचना बनर्जी की तरह चुनावी राजनीति में पहली बार आए हैं।
अपने चालीसवें वर्ष के मध्य में घोष दो सेलिब्रिटी प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ लड़ाई में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रचार अभियान शुरू होने से पहले, चटर्जी और बनर्जी दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि चुनावी लड़ाई उनके संबंधों को कभी खराब नहीं करेगी। दोनों ने एक ही फिल्म में अभिनय भी किया है। हालांकि, चुनाव अभियान की शुरुआत से ही बनर्जी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कुछ टिप्पणियां की हैं, जिससे उनके विरोधियों को जवाब देने का मौका मिल गया है।
तृणमूल कांग्रेस द्वारा नामांकन की घोषणा के तुरंत बाद बनर्जी ने पहला हमला किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं की वास्तविक पहचान के बारे में संदेह व्यक्त किया। इलाके की महिलाएं वहां स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं।
बनर्जी के विरोधियों ने उस टिप्पणी को पकड़ लिया और उन पर हमला करते हुए दावा किया कि संदेशखाली में महिलाओं के प्रति यह असंवेदनशीलता तृणमूल कांग्रेस के साथ उनके जुड़ाव का दुष्परिणाम है।
बनर्जी का दूसरा कमेंट टाटा मोटर्स की सिंगूर में स्मॉल कार प्रोजेक्ट पर था, जिससे नया विवाद पैदा हुआ।
यह परियोजना राष्ट्रीय सुर्खियों में तब छाई जब भूमि अधिग्रहण के खिलाफ एक उग्र आंदोलन के बाद टाटा समूह इससे पीछे हट गया था।
बनर्जी ने 2011 में पश्चिम बंगाल में 34 साल के वाम मोर्चा शासन को समाप्त करने में सिंगूर आंदोलन की भूमिका का उल्लेख किया और कहा कि आंदोलन का समृद्ध इतिहास उन्हें प्रेरित करता है।
इस पर उनके विरोधी चटर्जी ने कहा, “सिंगूर आंदोलन ने भले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के लिए ममता बनर्जी के सपनों को पूरा किया हो, लेकिन अभी वहां के लोगों की स्थिति क्या है? सिंगूर में न तो उद्योग है और न ही कृषि।”
बनर्जी की एक और अपरिपक्व टिप्पणी ने उनके खिलाफ जवाबी अभियान को हवा दे दी। उन्होंने कहा था, ”मुझे यकीन है कि हुगली के लोग मुझे अपने बीच पाकर गर्व महसूस कर रहे हैं।” उनके विरोधी ने पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणी उनके अहंकार को दर्शाती है। बनर्जी को यह कहना चाहिए था कि “वह हुगली के लोगों के बीच आकर खुद पर गर्व महसूस कर रही हैं।” यहां 16 लाख से अधिक मतदाता हैं जो अपनी आजीविका के लिए कृषि और उद्योग पर निर्भर हैं।
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