छत्तीसगढ़। एक वर्ग ने गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद (MLA Kunwar Singh Nishad) को अपने सामजिक कार्यक्रम में बुलाया था। इसमें वे बतौर अतिथि के तौर पर बुलाए जाने वाले थे। इसके लिए उन्हें आमंत्रण पत्र भी दिया था। लेकिन आरक्षण की नाराजगी कांग्रेस विधायक पर उतार दिया। जनजातीय के समाज के लोगों ने फैसला किया, जब तक आरक्षण सरकार लागू नहीं कर देती। तब तक हम अपने कार्यक्रम में नहीं बुला सकते। इनका पत्र अब वायरल हो गया है।
यह मामला बालोद जिले के गुंदेरदेही विधानसभा क्षेत्र के अरजुंदा का सामने आया,जिसमे बाबा गुरुघासी दास जयंती के उपलक्ष्य में अरजुंदा नगर पंचायत ने दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए गुंदेरदेही विधायक व संसदीय सचिव कुंवर निषाद को इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था लेकिन लेकिन आरक्षण कटौती के विरोध में समाज द्वारा उनको मुख्य अथिति बनाया जाना निरस्त कर दिया।
इसमें उन्होंने लिखा है कि इस पत्र में जीवन बन्दे ने कुंवरसिंह निषाद (MLA Kunwar Singh Nishad) से आग्रह करते हुए लिखा है कि नगर पंचायत अर्जुंदा ने आपको मुख्य अतिथि के लिए आमंत्रित किया था लेकिन आरक्षण कटौती के बाद समाज ने यह फैसला किया है कि आरक्षण का मुददा हल होने तक किसी भी नेता या मंत्री को नही बुलाएंगे। अत: आपके अतिथि बनाने के फैसले को निरस्त किया जा रहा है। आगे लिखा कि आपसे निवेदन है कि लगाए गए सामाजिक पाबंदी का सहयोग कर सरकार से हमारा आरक्षण 16 प्रतिशत वापस दिलाने की कृपा करेंगे। उन्हें तहसील जनजातीय समाज अर्जुंदा ने अपने किसी सामाजिक कार्यक्रम में निषाद को आतंत्रित किया था। वैसे इस जारी पत्र की हमारी वेबसाइट पुष्टि नहीं करती है।
विधायक के आमंत्रण निरस्त होने की सच्चाई चाहे कुछ भी हो लेकिन सवाल उठता है कि भूपेश सरकार ने विधानसभा में सभी वर्गों के लिए आरक्षण बिल वर्गों की मांग के अनुरूप तैयार कर उसे पारित भी कर दिया है। लेकिन पेंच राजभवन में फंसा है, जहां राज्यपाल ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उनकी कुछ आपत्तियां है। जिसे संवैधानिक तरीके से सुलझा भी लिया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कल कहा भी था, कि राज्यपाल खुद आदिवासी महिला है। भोली हैं, पर बीजेपी के दवाब में वे कुछ नहीं कर पा रही है। कुल मिलाकर कांग्रेस ने विधानसभा के सत्र में बिल पास कर दिया है। बहरहाल, चाहे कुछ भी हो, लेकिन एक बात तो तय है कि आरक्षण को लेकर अभी ग्रामीण अंचल में भ्रम के हालात है। आने वाले दिनों में इसे दूर करना भी कांग्रेस के लिए चुनौती होगी।