‘मेरी ताकत 140 करोड़ देशवासी और हजारों साल की समृद्ध परंपरा’, लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने पॉडकास्ट इंटरव्यू के दौरान कहा, "मेरी ताकत मोदी नहीं है, 140 करोड़ देशवासी और हजारों साल की महान संस्कृति और परंपरा हमारी ताकत है।

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  • Publish Date - March 16, 2025 / 10:50 PM IST

नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)। पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 140 करोड़ देशवासियों को अपनी ताकत बताई और पाकिस्तान के साथ देश के रिश्तों पर बात की।

पीएम मोदी ने पॉडकास्ट इंटरव्यू के दौरान कहा, “मेरी ताकत मोदी नहीं है, 140 करोड़ देशवासी और हजारों साल की महान संस्कृति और परंपरा हमारी ताकत है। इसलिए मैं जहां भी जाता हूं, मैं अपने साथ हजारों साल की वैदिक परंपरा, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और 140 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद, सपनों और आकांक्षाओं का सार लेकर जाता हूं। जब मैं विश्व के नेताओं से हाथ मिलाता हूं, तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है, 140 करोड़ लोगों की ताकत उनसे हाथ मिलाती है। इसलिए यह मेरी ताकत नहीं है, बल्कि यह भारत की ताकत है।”

उन्होंने कहा कि जब भी हम शांति की बात करते हैं, तो दुनिया हमारी बात सुनती है, क्योंकि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। भारतीयों में संघर्ष और टकराव का समर्थन करने की आदत नहीं है। हम इसकी बजाय सद्भाव और समन्वय का समर्थन करते हैं। हम न तो प्रकृति के खिलाफ युद्ध छेड़ना चाहते हैं, न ही राष्ट्रों के बीच संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते हैं। हम शांति के पक्षधर हैं, और जहां भी हम शांति निर्माता के रूप में कार्य कर सकते हैं, हमने खुशी-खुशी उस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि उनका प्रारंभिक जीवन अत्यधिक गरीबी में बीता, लेकिन “हमने कभी गरीबी का बोझ महसूस नहीं किया”। जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनने का आदी है, उसे उनकी कमी तब खलेगी जब उसके पास जूते नहीं होंगे। लेकिन हमने अपने जीवन में कभी जूते नहीं पहने थे, तो हम कैसे जान सकते थे कि जूते पहनना कोई बड़ी बात है? हम तुलना करने की स्थिति में नहीं थे। हम बस ऐसे ही जीते थे।

पीएम मोदी ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “जब मैं प्रधानमंत्री बना, तो मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को विशेष रूप से आमंत्रित किया था ताकि हम एक नई शुरुआत कर सकें। फिर भी, शांति को बढ़ावा देने के हर नेक प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ। हम उम्मीद करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि मिले और वे शांति का रास्ता चुनें।”

यह पूछे जाने पर कि वह आलोचनाओं को कैसे हैंडल करते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा, “अगर मुझे एक वाक्य में बताना हो, तो मैं इसका स्वागत करता हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है। मैं सभी युवाओं को यह बताना चाहता हूं। जीवन में रात चाहे कितनी भी अंधेरी क्यों न हो, वह रात ही है, सुबह होनी तय है।”