रांची, 2 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में बदलते राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रमों के बीच अगले कुछ दिनों में नई सरकार गठित होने की संभावना तेज हो गई है। तीन जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के आवास में सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन (JMM-Congress-RJD alliance) के विधायकों की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने को कहा गया है।
दरअसल, इस पूरे सियासी घटनाक्रम की वजह है, सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ अगले कुछ दिनों में ईडी की संभावित कार्रवाई। सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में बयान दर्ज कराने के लिए अब तक सात समन भेजे हैं। वह किसी भी समन पर हाजिर नहीं हुए। ईडी ने सातवां समन 29 दिसंबर को भेजा था। इसे एजेंसी ने आखिरी समन बताया था। इसमें कहा गया था कि वे सात दिनों के अंदर ईडी के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हों। इसके लिए समय और स्थान तय करने के लिए उन्हें दो दिनों यानी 31 दिसंबर का वक्त दिया गया था। यह डेडलाइन गुजर गई और हेमंत सोरेन ने कोई जवाब नहीं दिया।
दरअसल, वर्ष 1997 में बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद के खिलाफ जब चारा घोटाले में सीबीआई जांच का शिकंजा कसा था तो उन्होंने विधायक दल की बैठक बुलाकर खुद की जगह अपनी पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व पर सहमति बनाई थी और उन्होंने सीएम की कुर्सी संभाली थी।
झारखंड की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी, 2025 में पूरा हो रहा है। नियमों के अनुसार किसी विधानसभा का कार्यकाल अगर एक साल से ज्यादा बाकी हो तो कोई सीट खाली होने पर अनिवार्य रूप से उपचुनाव कराया जाएगा। खुद सरफराज अहमद ने स्वीकार किया है कि उन्होंने राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से इस्तीफा दिया है।