शशि थरूर बोले– भारत में राजनीति बन गई है पारिवारिक व्यवसाय, नेहरू-गांधी परिवार का लिया नाम
By : dineshakula, Last Updated : November 4, 2025 | 11:40 am
By : dineshakula, Last Updated : November 4, 2025 | 11:40 am
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी की लाइन से अलग चलते हुए भारतीय राजनीति में बढ़ते वंशवाद पर तीखा प्रहार किया है। अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित अपने लेख “Indian Politics Are a Family Business” में थरूर ने लिखा कि भारत में राजनीति अब परिवारों का व्यवसाय बन चुकी है। उन्होंने कहा कि जब तक राजनीतिक दल परिवारों के इर्द-गिर्द घूमते रहेंगे, तब तक लोकतंत्र का असली अर्थ पूरा नहीं हो सकेगा।
थरूर ने लेख में सुझाव दिया कि देश को वंशवाद छोड़कर योग्यता आधारित राजनीति अपनानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने कानूनी रूप से तय कार्यकाल, आंतरिक पार्टी चुनाव और मतदाताओं में जागरूकता बढ़ाने जैसे सुधारों की वकालत की।
उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार बताया और लिखा कि इस परिवार की विरासत स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी जरूर है, लेकिन इसी कारण जनता में यह धारणा भी गहरी हुई है कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है। थरूर ने जम्मू-कश्मीर के अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार, ओडिशा में नवीन पटनायक, महाराष्ट्र में उद्धव और आदित्य ठाकरे, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास और चिराग पासवान, पंजाब में बादल परिवार, तेलंगाना में केसीआर के बेटे-बेटी और तमिलनाडु के करुणानिधि-स्टालिन परिवार का भी उदाहरण दिया।
भाजपा ने थरूर के इस लेख को राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा निशाना बताया। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यह थरूर की “कांग्रेस के भविष्य को लेकर निराशा” दर्शाता है। प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने टिप्पणी की कि थरूर अब “खतरों के खिलाड़ी” बन गए हैं जिन्होंने अपने ही दल के ‘नेपो किड’ पर हमला बोल दिया।
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि परिवारवाद केवल राजनीति तक सीमित नहीं है—डॉक्टर, व्यापारी और अभिनेता भी अपने पारिवारिक पेशे को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि समस्या अवसरों की असमानता में है। वहीं, राशिद अल्वी ने कहा कि लोकतंत्र में जनता तय करती है कि किसे चुनना है, किसी को केवल परिवार के आधार पर चुनाव से रोका नहीं जा सकता।
थरूर अक्सर कांग्रेस की आधिकारिक लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं। वे कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और विदेश नीति की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की थी और कहा था कि भारत ने मजबूत संदेश दिया है।
पिछले महीनों में थरूर ने मोदी की वैश्विक दृष्टि, ऊर्जा और भारत-अमेरिका रिश्तों पर उनकी भूमिका की भी प्रशंसा की थी। उन्होंने आपातकाल को “भारतीय इतिहास का काला अध्याय” बताया और कहा कि इससे सबक लेना जरूरी है।
थरूर के इन बयानों से एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वे कांग्रेस में अपनी स्वतंत्र पहचान बना रहे हैं या पार्टी नेतृत्व से वैचारिक दूरी बढ़ा रहे हैं।