मुंबई, 16 जुलाई (आईएएनएस)। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने सोमवार को मुंबई में मातोश्री पहुंचकर शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी।
इस दौरान उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात की बात कही थी। उनके इस बयान के बाद सियासत गर्मा गई है। इस मामले पर शिवसेना शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम की बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है।
संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने कहा कि शंकराचार्य का पद आस्था का पद है। कल जिस तरह से शंकराचार्य जी ने राजनीतिक टिप्पणी की, हमें उस पर आपत्ति है। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी छोड़ी, क्या यह विश्वासघात नहीं है? जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी धार्मिक कम, राजनीतिक ज्यादा हैं। उद्धव ठाकरे से मिलना उनका व्यक्तिगत फैसला हो सकता है। इस पर हमें कोई एतराज नहीं है। शिवसेना के अंदरूनी विवाद पर राजनीतिक बयानबाजी से उन्हें बचना चाहिए। यह उन्हें शोभा नहीं देता। शंकराचार्य का पद इन सबसे बहुत ऊंचा है और उन्हें किसी राजनीतिक पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहिए।
उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि विश्वासघात को सबसे बड़े पापों में से एक माना जाता है, वही उद्धव ठाकरे के साथ हुआ है। उन्होंने मुझे बुलाया, मैं आया। उन्होंने हमारा स्वागत किया। हमने कहा कि हमें उनके साथ हुए विश्वासघात पर दुख है। हमारा दुख तब तक नहीं जाएगा, जब तक वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन जाते।
यह भी पढ़ें : नौ साल के बच्चे से कुकर्म के बाद हत्या के आरोपी को फांसी की सजा, कोर्ट में फूट-फूट कर रोया दोषी
यह भी पढ़ें : आजाद भारत में हिंदू बहन-बेटियों के ‘धर्म परिवर्तन’ की योजना चिंताजनक : कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर
यह भी पढ़ें :डोडा मुठभेड़ : असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और तरुण चुघ ने दी प्रतिक्रिया