मराठी के लिए लड़ाई पर उद्धव-राज का हुंकार: “अगर ये गुंडागर्दी है, तो हम भी गुंडे हैं”
By : dineshakula, Last Updated : July 5, 2025 | 7:53 pm

मुंबई, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भाषा विवाद एक बार फिर सियासी रंग में रंग गया है। शनिवार को मुंबई के वर्ली स्थित सभागार में शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackery) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने 20 साल बाद एक मंच साझा किया। यह मंच था ‘मराठी विजय रैली’ का, जहां दोनों नेताओं ने मराठी की अस्मिता, हिंदी थोपने की कोशिशों और भाजपा व केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला।
राज ठाकरे ने 25 मिनट का भाषण देते हुए कहा, “तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र सरकार से आया है। कोई भी भाषा हमारे खिलाफ नहीं है, लेकिन जबरन थोपी जाएगी तो विरोध होगा। मराठी के लिए बोलना अगर गुंडागर्दी है, तो हां, हम भी गुंडे हैं।”
उद्धव ठाकरे ने अपने 24 मिनट के भाषण में स्पष्ट शब्दों में कहा, “1992 के दंगों में मराठी लोगों ने हिंदुओं की जान बचाई थी। अगर मराठी के सम्मान के लिए आवाज उठाना गुंडागर्दी है, तो हां, मैं भी गुंडा हूं। महाराष्ट्र में जबरदस्ती हिंदी थोपना स्वीकार्य नहीं है। हमें हिंदू और हिंदुस्तान चाहिए, लेकिन हिंदी थोपने की नीति को हम नकारते हैं। सात पीढ़ियां भी आ जाएं, तब भी हम मराठी की जगह हिंदी को नहीं लाने देंगे।”
इसी रैली पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पंढरपुर की सभा में कटाक्ष किया, “ये कोई विजय रैली नहीं थी, ये तो रुदाली (शोकसभा) जैसा भाषण था। मराठी के नाम पर कुछ नहीं कहा गया, पूरी स्पीच सत्ता जाने और वापस पाने की कोशिश पर थी।”
राज ठाकरे ने आगे कहा, “हमारे बच्चों को अंग्रेजी स्कूल भेजा जाता है तो मराठी पर सवाल उठते हैं, लेकिन देश की बड़ी हस्तियां – स्टालिन, कनिमोझी, जयललिता – सभी अंग्रेजी में पढ़े हैं। रहमान ने तो एक बार हिंदी भाषण पर मंच तक छोड़ दिया। मराठी हमारी आत्मा है, लेकिन ज्ञान की भाषा कई हो सकती है।”
रैली में दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र के स्कूलों में अगर हिंदी अनिवार्य की जाती है, तो ये मराठी की आत्मा पर प्रहार है। दोनों नेताओं ने NEP के तहत हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना की।
महाराष्ट्र में भाषा विवाद की पृष्ठभूमि:
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अप्रैल 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया था।
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ये निर्णय मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया।
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भारी विरोध के बाद सरकार ने गाइडलाइंस अपडेट की, जिसमें अन्य भारतीय भाषाएं चुनने की छूट दी गई, बशर्ते कम से कम 20 छात्र उस भाषा को चुनें।
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20 से कम छात्रों की स्थिति में उस भाषा की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से होगी।