नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि वह मणिपुर मसले (Manipur issue) पर विपक्ष की एक बात से सहमत हैं कि वहां पर हिंसा का तांडव हुआ है। हम भी दुखी हैं। जो घटना हुई वह शर्मनाक है। लेकिन, उस पर राजनीति करना, उससे भी अधिक शर्मनाक है।
शाह ने विपक्षी दलों- खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए यह आरोप लगाया कि देश में सबसे ज्यादा धार्मिक और नस्लीय दंगे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए। उन्होंने राहुल गांधी पर मणिपुर में जाकर राजनीति करने का भी आरोप लगाया।
अमित शाह ने मणिपुर में नस्लीय हिंसा के इतिहास का जिक्र करते हुए यह आरोप लगाया कि 1993 और 1997 में मणिपुर में इससे भी भयानक हिंसा हुई थी। लेकिन, उस समय एक बार सदन में इस पर चर्चा भी नहीं हुई और एक बार चर्चा हुई तो जवाब गृह राज्य मंत्री की तरफ से दिया गया। लेकिन, आज विपक्ष प्रधानमंत्री के जवाब की मांग कर सदन को कई दिनों से चलने नहीं दे रहा है।
अमित शाह ने मणिपुर के वीडियो को समाज के नाम पर एक धब्बा बताते हुए कहा कि कोई भी इसका समर्थन नहीं कर सकता, वह खुद भी इससे दुखी हैं। लेकिन, यह सवाल जरूर उठता है कि 4 मई की घटना का वीडियो अगर पहले से किसी के पास था तो उसने राज्य के डीजीपी को क्यों नहीं दिया ?
मणिपुर की पुलिस को क्यों नहीं दिया और संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले इसे क्यों रिलीज किया गया ? अमित शाह ने मणिपुर में हुई कई हिंसा का जिक्र करते हुए यह भी बताया कि मणिपुर के इतिहास में सबसे ज्यादा तेजी से इस बार सरकार ने काम किया। वीडियो आते ही जिम्मेदार लोगों को अरेस्ट कर लिया गया और अब सीबीआई जांच जारी है।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं तीन दिन तीन रात मणिपुर में रहे। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 23 दिन तक मणिपुर में रहें। वह दोनों समुदायों के साथ बातचीत कर राज्य में लगातार शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
अमित शाह ने दोनों समुदायों से बातचीत करने और राज्य में शांति स्थापित करने की अपील करते हुए कहा कि वह दोनों समुदायों से निवेदन करते हैं कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है, आइए भारत सरकार से बातचीत कीजिए। भारत सरकार का राज्य की डेमोग्राफी बदलने का कोई इरादा नहीं है। अफवाह पर भरोसा नहीं करें। संवेदना के साथ बातचीत कर राज्य में शांति स्थापित करने में सहयोग करें।
इसके साथ ही उन्होंने विरोधी दलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इस संवेदनशील घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। अमित शाह के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने सदन में लोकसभा की तरफ से मणिपुर में शांति की अपील करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया।
हालांकि, इससे पहले कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह कहते हुए प्रस्ताव का विरोध किया कि यह प्रस्ताव सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पास होना चाहिए। सरकार की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खड़े होकर कांग्रेस सांसदों के हंगामे के बीच कहा कि आज मणिपुर पर गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दे दिया है और कल अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी बात रखेंगे।
उन्होंने भी सदन से मणिपुर में शांति स्थापित करने की अपील का प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। अमित शाह ने मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि विपक्ष को भले ही मोदी सरकार पर अविश्वास हो, लेकिन, जनता को मोदी सरकार पर पूरा विश्वास है। सदन में विपक्ष का यह अविश्वास प्रस्ताव गिरने वाला है और 2024 में जनता फिर से मोदी सरकार को चुनने जा रही है। शाह ने नरेंद्र मोदी को आज़ादी के बाद का भारत का सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बताते हुए कश्मीर में शांति स्थापित करने, देश में वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने और नॉर्थ ईस्ट में शांति स्थापित करने के सरकार के प्रयासों और उपलब्धियों का भी जिक्र किया।
यह भी पढ़ें : कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ एकजुट हों देश के 13 करोड़ आदिवासी – हेमंत सोरेन