आतिशी ने सीएम की कुर्सी खाली छोड़ी तो भाजपा ने कसा तंज, कहा- सीएम नाटक और नौटंकी में नंबर वन

भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, "लोकसभा चुनाव में 'आप' का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं मिला।

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  • Publish Date - September 23, 2024 / 02:58 PM IST

नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी (Atishi) ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया। हालांकि सीएम की कुर्सी पर बैठते ही आतिशी चर्चा में आ गईं। दरअसल, जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। जिसके बाद अब इस पर सियासत शुरु हो गई है। भाजपा ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं मिला। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखे। जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है।”

दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं, केजरीवाल की वह कठपुतली हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आतिशी की फोटो शेयर करते हुए लिखा,” दिल्ली में ये ड्रामा बंद होना चाहिए। आज आतिशी मार्लेना ने अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी के बगल में एक खाली कुर्सी रखकर पदभार संभाला। यानी आतिशी दिल्ली सरकार की मनमोहन सिंह हैं और असली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने फाइल साइन करना तो दूर, दिल्ली सचिवालय जाने से भी रोक दिया है। ये बाबा साहेब के बनाए संविधान का मखौल है। मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ मार्लेना ने ली है, खाली कुर्सी पर बैठे केजरीवाल के भूत ने नहीं।”

इससे पहले आतिशी ने एक्स पोस्ट पर सीएम पद संभालने के बाद लिखा, ”आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली है। आज मेरे मन में वो ही व्यथा है जो भरत के मन में थी जब उनके बड़े भाई भगवान श्री राम 14 साल के वनवास पर गए थे, और भरत जी को अयोध्या का शासन संभालना पड़ा था। जैसे भरत ने 14 साल भगवान श्री राम की खड़ाऊं रखकर अयोध्या का शासन संभाला, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊंगी।”