दिव्यांग ईश्वरी निषाद एशियन ‘पैरा एथलेटिक्स’ खेलने जाएंगी चीन!

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की बेटी दिव्यांग ईश्वरी निषाद (Divyang Ishwari Nishad) ने एशियन पैरा एथलेटिक्स (Asian Para Athletics) खेल के लिए ....

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  • Updated On - August 4, 2023 / 12:09 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की बेटी दिव्यांग ईश्वरी निषाद (Divyang Ishwari Nishad) ने एशियन पैरा एथलेटिक्स (Asian Para Athletics) खेल के लिए क्वॉलीफाई कर लिया है। ईश्वरी विदेशी सरहद में चीन के हांगझू में शुरू हो रहे एशियाई पैरा एथलेटिक्स में हिस्सा लेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के लिए गोल्ड मेडल लाने के लिए पूरे जुनून के साथ मैदान में उतरेगी। ईश्वरी को खेल में अच्छे प्रदर्शन के लिए राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।

ईश्वरी राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। चीन में ये प्रतियोगिता 22 अक्टूबर से शुरू होगी जब प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की उम्मीदों भरी निगाहें ब्लाइंड ईश्वरी की तरफ होगी।

दिल्ली में हुआ था ट्रायल

ईश्वरी ने 25 और 26 जुलाई 2023 को नेहरू स्टेडियम नई दिल्ली में आयोजित फाइनल सलेक्शन पैरा एथलेटिक्स एशियन गेम ट्रायल में भाग लिया। वह 200 मीटर की दौड़ में भारत में प्रथमपर और एशियन रैंक में 5वें स्थान पर रहीं। साथ ही वह 400 मीटर दौड़ में दूसरा स्थान प्राप्त करते हुए एशियन रैंक में 7वें स्थान पर रहीं। कुमारी ईश्वरी फॉर्चुन नेत्रहीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करमापटपर (बागबाहरा) की पूर्व छात्रा रही हैं। इसी दौरान उन्होंने पैरा एथलेटिक्स खेलों में भाग लेना शुरू किया था।

ईश्वरी निषाद ने लगातार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उत्कृष्ट खेल के लिए उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। महिला और बाल विकास, समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया ने ईश्वरी के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

दुबई में जीत चुकी है सिल्वर

इससे पहले दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स टूर्नामेंट के 400 मीटर रेस में हिस्सा लेकर सिल्वर मेडल जीता था। ईश्वरी ने टी 11 कैटेगरी में ये जीत हासिल करने में कामयाब रही और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहरा चुकी हैं।

छोटे से गांव की रहने वाली है ईश्वरी

ईश्वरी निषाद महासमुंद जिले के बागबाहरा तहसील के सम्हर गांव की रहने वाली है। उनके माता-पिता मजदूरी करके अपनी जिंदगी चला रहे हैं। कमजोर आर्थिक स्थिति और दृष्टिबाधित होने के बावजूद ईश्वरी ने खुद की पहचान बनाई है और देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है।

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