नई दिल्ली, 27 जून (आईएएनएस)। भारत में हर 10 में से 8 या 81 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयां (एमएसएमई) 2025 में अपना क्लाउड पर खर्च में इजाफा कर सकती है। इसकी वजह एमएसएमई द्वारा कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट (सीआरएम), फाइनेंसियल सर्विसेज और बिजनेस इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर में निवेश करना है। गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी जोहो की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि डिजिटलाइजेशन में एमएसएमई को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सॉफ्टवेयर की अधिक लागत, बजट की कमी, एकीकरण और स्किल की कमी शामिल है।
देश के विकास में एमएसएमई सेक्टर एक बड़ी भूमिका निभाता है। आने वाले समय में इनकी संख्या 6.3 करोड़ से बढ़कर 7.5 करोड़ पर पहुंचने की उम्मीद है। जोहो के वाइस प्रेसिडेंट मार्केटिंग और कस्टमर एक्सपीरियंस प्रवल सिंह का कहना है कि इस एमएसएमई दिवस पर हम इन इकाइयों की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एमएसएमई के सामने सबसे बड़ी मुश्किल कारोबार बड़ा करने के लिए सही सॉल्यूशन न होना है।
रिपोर्ट में बताया गया कि 73 प्रतिशत एमएसएमई इकाइयां आने वाले 6 महीने में अपने विकास को लेकर आशावादी हैं। एमएसएमई बड़े स्तर पर कारोबार में तीन चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जिसमें आर्थिक अनिश्चितता (54 प्रतिशत), महंगाई (44 प्रतिशत) और स्किल लेबर की कमी (33 प्रतिशत) हैं। एमएसएमई का फोकस डिजिटल अनुभव को मजबूत बनाने को लेकर है। अपनी वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए वे आईटी और क्लाउड सॉल्यूशन पर निवेश कर रहे हैं। रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि 97 प्रतिशत एमएसएमई का कहना है कि वे अपनी आय 20 प्रतिशत हिस्सा आईटी और क्लाउड सर्विसेज पर खर्च करेंगे।