नई दिल्ली, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। कांग्रेस के शासन काल में हुए 1984 के सिख विरोधी दंगों (Anti-Sikh riots of 1984) का दर्द अब भी सिख समाज (Sikh society) महसूस करता है। उन दंगों का दंश झेलने वाले परिवारों के लोगों ने उस समय को याद करते हुए उसके लिए सीधे तत्कालीन सरकार को दोषी ठहराया और “न्याय” का श्रेय मोदी सरकार को दिया।
हरजीत सिंह ने सारा दोष कांग्रेस पर मढ़ते हुए कहा, “रात को भीड़ हमारा घर जलाने आई थी, लेकिन एक हिंदू परिवार जो हमारे किराएदार थे, उन्होंने हमें बचा लिया।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे दादाजी परिवार की देखभाल करते थे, लेकिन मुझे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और हमारे पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होना पड़ा क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मैंने 1989 में ब्रेन हेमरेज के कारण अपनी मां को खो दिया। वह दंगों में मेरे पिता की मृत्यु को सहन नहीं कर सकीं। कांग्रेस ने कभी भी हमें न्याय देने की कोशिश नहीं की, बल्कि उन्होंने केवल अपने उन नेताओं को बचाया जो दंगों में शामिल थे।”
हरजीत सिंह ने कहा, “हमने न्याय पाने की सारी उम्मीद खो दी थी लेकिन जब 2014 में पीएम मोदी आए तो चीजें काफी तेजी से आगे बढ़ीं। कानपुर दंगों के कई मामले सुलझ गए हैं। दोषियों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है और पीड़ितों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा मिला है।”
श्री गुरु सिंह सभा कानपुर के महासचिव और सामाजिक कार्यकर्ता गुरिंदर सिंह वासु प्रिंस ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के समय वह दसवीं कक्षा में थे। उन्होंने कहा, “घटना के दिन मैं अपनी पांच बहनों और मां के साथ घर पर अकेला था। तभी हजारों लोगों की भीड़ ने हमारे घर पर हमला कर दिया। हमारा पूरा परिवार अंदर था, फिर भी दंगाइयों ने उसे जला दिया। मेरी बहन की शादी के लिए घर में रखा सामान लूट लिया गया। इलाके में तीन दिन तक हिंसा हुई। पड़ोसी जैन परिवार ने हमारी रक्षा की। ये दंगे पूर्व नियोजित थे, क्योंकि उनके पास सिखों के नाम और घरों की सूची थी। हमें अपनी जान बचाने के लिए शिविर में जाना पड़ा। मेरे पिता एक वरिष्ठ सिख नेता और 18 साल तक वार्ड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, लेकिन घटना के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।”
उन्होंने आगे कहा, “सिख समुदाय कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगा जो हमारी माताओं, पिताओं, भाइयों और बहनों के नरसंहार की तैयारी कर रहे हैं।”
सिख विरोधी दंगों की एक अन्य पीड़िता देविंदर कौर ने कहा, “मासूम बच्चों को मार डाला गया, हमारी बेटियों के साथ बलात्कार किया गया, घर जलाए गए, लोगों का कत्लेआम किया गया और घरों को लूटा गया। यह सब कांग्रेस सरकार के संरक्षण में हुआ। सिख विरोधी दंगों के पीछे कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस और उसके नेता थे। मानव इतिहास के सबसे जघन्य कृत्य के अपराधियों को बचाने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा सुनियोजित साजिश रची गई थी।”
देविंदर कौर ने कहा, “सिख विरोधी दंगों के दौरान तो चांदनी चौक में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब में सिखों का कत्लेआम किया गया था, जहां सिख गुरु तेग बहादुर ने हिंदुओं को बचाने और हिंदुस्तान की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। जब कांग्रेस सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर में सिखों को मारने का आदेश दिया, तो उस समय सिर्फ सिखों को ही नहीं बल्कि हिंदुओं को भी मारने का आदेश दिया गया था। सिखों पर किए गए सबसे जघन्य कृत्यों में से एक में, कांग्रेस सरकार ने सिख समुदाय के बीच डर फैलाने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सिखों के शवों को दरबार साहिब के परिसर में लटका दिया था।”
उन्होंने कहा कि पीएम जब भी किसी सिख धर्म स्थल पर जाते हैं तो पगड़ी पहनते हैं। मोदी सरकार अपनी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, वह गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भोजन भी उपलब्ध करवा रही है।
कानपुर में सिख विरोधी दंगों के एक अन्य पीड़ित मंजीत सिंह चावला ने कहा, ”जब इंदिरा गांधी की मौत की खबर फैली, तो अगली सुबह ही हमारे पड़ोसियों ने भीड़ के साथ दुकानों में तोड़फोड़ करना, लोगों पर हमला करना और घरों को लूटना शुरू कर दिया। दंगाई भीड़ ने सैकड़ों सिखों को मार डाला। पुलिस अधिकारियों, प्रशासन और कांग्रेस सरकार के नेताओं के संरक्षण के कारण भीड़ हत्या पर उतारू हो गई, हालांकि इस हत्याकांड में समाज के सभी अलग-अलग वर्गों के उपद्रवी तत्व शामिल थे पर पूरा खून-खराबा कांग्रेस सरकार के नेताओं और स्थानीय प्रशासन से लेकर गुंडों तक के राजनीतिक संरक्षण में हुआ। उन्हें स्पष्ट निर्देश थे कि किसी को भी छोड़ा न जाए और सभी सरदारों को मार डाला जाए।”