छत्तीसगढ़ में तीसरी ताकत बनने की जुगत में अरविंद केजरीवाल…
By : hashtagu, Last Updated : July 4, 2023 | 5:55 pm
राज्य की सियासत पर गौर करें तो वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर नए राज्य का दर्जा मिलने के बाद छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच होता रहा है। इस इलाके में तीसरे दल के तौर पर बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का भी प्रभाव रहा है। इनमें से कोई ऐसा दल नहीं रहा, जो विधानसभा चुनाव में जीत के मामले में दहाई के आंकड़े को छू पाया हो।
राज्य में विधानसभा की 90 सीटें हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68, भाजपा ने 15 और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस-बसपा के गठबंधन ने 7 स्थानों पर जीत हासिल की थी। उसके बाद हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की और वर्तमान में उसके विधायकों की संख्या 71 हो गई है।
राज्य में तीसरे दल की संभावना के तौर पर आम आदमी पार्टी ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिलासपुर में एक जनसभा कर पार्टी के पूरे दमदार तरीके से राज्य में चुनाव लड़ने का संदेश दे गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य की राजनीति में बस्तर में 12 और सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं। इन दोनों इलाकों में कुल मिलाकर 26 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां ग्रामीण और आदिवासियों की संख्या ज्यादा है। लिहाजा, इन क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी की सक्रियता बढ़ रही है। वह यहां से सियासी गणित बिगाड़ सकती है। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस कुछ निष्क्रिय नजर आ रही है। जिसके चलते आम आदमी पार्टी को पैर पसारने का मौका भी मिल सकता है।
राज्य के सियासी अनुभव के आधार पर कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सक्रियता भले ही उसे ज्यादा सीट पर जीत न दिला पाए, मगर बड़ी तादाद में ऐसी सीटें हैं, जहां आप सियासी गणित को बिगाड़ सकती है। राज्य के सीमित इलाकों में बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अलावा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का प्रभाव है। मगर, इन दलों का विस्तार होने की बजाय रफ्तार थम गई है। इन स्थितियों में आम आदमी पार्टी अपने लिए राज्य में संभावनाएं तलाश रही है।