भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की

भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Water Board) को अरविंद केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का पर्याय बताते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है।

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  • Updated On - November 22, 2023 / 04:05 PM IST

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Water Board) को अरविंद केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का पर्याय बताते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी (BJP MP Manoj Tiwari), दिल्ली भाजपा सचिव हरीश खुराना और दिल्ली भाजपा मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने पत्रकारों से बात करते हुए केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा।

  • मनोज तिवारी ने कहा कि 1998 में दिल्ली जल बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य था कि यह बोर्ड स्वयं अपना मूलभूत ढांचा तैयार करेगा और अपने राजस्व से अपने खर्चे चलायेगा। दिल्ली सरकार इसको केवल बड़ी प्लान हेड योजनाओं के लिये आर्थिक संसाधन उपलब्ध करायेगी। यह खेद का विषय है कि 1999 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के संसाधनों की लूट मचाई और जल बोर्ड को टैंकर माफिया के सामने गिरवी रख दिया, जिसके परिणाम स्वरूप 2013-14 के अंत में दिल्ली जल बोर्ड पर लगभग 20 हजार करोड़ रूपये की देनदारी खड़ी हो गई।

उन्होंने कहा कि 2015 में सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने 14 लाख घरों को नल से जल देने का सपना दिखाया और फिर 2020 में हर घर को जल देने का सपना दिखाया पर दिल्ली की जल उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई काम नहीं किया। 2013-14 में दिल्ली में 850 एम.जी.डी. पानी उपलब्ध था, राष्ट्रपति शासन के दौरान 2014 में ओखला में 100 एम.जी.डी. पानी का प्लांट लगा, जिसके बाद दिल्ली में 950 एम.जी.डी. पेय जल की उलब्धता बनी।

तिवारी ने कहा कि हर घर को पानी देने का सपना दिखाने वाली केजरीवाल सरकार ने जनता को किस तरह धोखा दिया है, इसका एक प्रमाण है कि आज दिल्ली में 1350 एम.जी.डी. पेय जल की आवश्यकता है, जबकि उपलब्धता मात्र 950 एम.जी.डी. की है। यह खेद पूर्ण है कि लगभग 9 वर्ष के शासन में केजरीवाल ने पेय जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई प्रयास नहीं किये हैं और दिल्ली आज भी टैंकर माफिया की शिकार है।

  • उन्होंने कहा कि विगत 5 वित्त वर्षों में दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को 12,700 करोड़ रूपये के ऋण एवं अनुदान दिये हैं पर इस पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं है। वित्त विभाग ने जब भी हिसाब मांगा तो केजरीवाल सरकार ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया। किसी भी संस्था में हेरफेर का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि 6 वित्त वर्ष तक उसके खाते ही न लिखे जायें जैसा कि दिल्ली जल बोर्ड में हो रहा है। 2016-17 के बाद से दिल्ली जल बोर्ड के न तो खाते बने हैं और न ही कोई ऑडिट हुआ है। इस हेरफेर के चलते 31 मार्च, 2018 को दिल्ली जल बोर्ड का घाटा जो 26 हजार करोड़ रूपये था, 31 मार्च, 2023 को उसका अनुमान 70 हजार करोड़ का लगाया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि सीएजी ने लगभग 22 पत्र दिल्ली जल बोर्ड को खाते ऑडिट कराने के लिये लिखे हैं, लेकिन केजरीवाल सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी। वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में दिल्ली सरकार के बजट में दिल्ली जल बोर्ड को 6342 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं और उसमें से 1557 करोड़ रूपये मई, 2023 में दिल्ली जल बोर्ड के खाते में भेज दिये गये और जानकारी अनुसार दिल्ली जल बोर्ड ने 750 करोड़ रूपये ऐसे कामों पर खर्च किये, जिनका कोई प्रावधान नहीं था। दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने जब बजट राशि की अगली किस्त देने के लिये दिल्ली जल बोर्ड से 1557 करोड़ रूपये का हिसाब मांगा तो हिसाब देने की बजाय जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में जल संकट की धमकी देना शुरू कर दिया।

  • दिल्ली भाजपा के सचिव हरीश खुराना, जिन्होंने 2021 में दिल्ली जल बोर्ड को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली थी और दिल्ली जल बोर्ड के खातों के सीएजी ऑडिट की मांग की थी, ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड आज भारत का सबसे भ्रष्ट सरकारी संस्था है, जिस पर 76 हजार करोड़ रूपये के ऐसे ऋण और अनुदान हैं, जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं है।

खुराना ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने उनकी याचिका को दबाने का भरसक प्रयास किया, न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया और इसी के अंतर्गत गत 11 अक्टूबर, 2023 में कोर्ट में एक एफिडेविट दायर कर दिल्ली जल बोर्ड के खाते प्रस्तुत करने के लिये एक वर्ष का समय मांगा है।

खुराना ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार का एक बड़ा नमूना है कि उन्होंने एफिडेविट में कहा है कि उनके खातों में प्रति डिवीजन 3 लाख एंट्रियां होती हैं इसलिये समय तो लगेगा।

दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आज दिल्ली वाले स्तब्ध हैं कि केजरीवाल सरकार का कोई ऐसा विभाग नहीं, जिसके कार्यों में भ्रष्टाचार ना हो, आबकारी विभाग हो, लोक निर्माण विभाग हो, राशन विभाग हो, परिवहन विभाग हो, प्राइवेट डिस्कॉम का बिजली बिल घोटाला हो, जल बोर्ड हो, हर ओर हेरफेर ही हेरफेर है।