रायपुर। लोकसभा चुनाव में इस बार अगर मोदी फैक्टर को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) में वाक युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां बीजेपी मोदी की गारंटी (BJP Modi’s guarantee) पर अपनी चुनावी नैया को 11 की 11 सीटों पर बेड़ा पार करने में लगी है। वहीं कांग्रेस के पास सिर्फ मोदी की गारंटी के बहाने पीएम मोदी पर वार करने में ही जुटी है। जबकि बीजेपी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के काम और उनके पूरे नहीं हो पाने वादों के साथ-साथ भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है। लेकिन कांग्रेस अपने न्याय पत्र को लेकर जाने के बजाए सिर्फ BJP के आरोपों का जवाब देने में ही जुटी है।
हाल ही में पीएम मोदी के सिर फोड़ने के लिए नेता प्रतिपक्ष महंत ने जिस तरीके से बयान दिया। इसके बाद पूरी कांग्रेस पार्टी को बीजेपी ने घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में खुद भूपेश बघेल को उनके बयान को लेकर सोशल मीडिया पर सफाई देनी पड़ी और उसके मायने बताने पड़े। इस वाक युद्ध की तपीश अभी शांत भी नहीं हुई थी कि तब तक फिर महंत ने मोदी के गारंटी को लेकर सवाल खड़े करते-करते उनकी जुबान फिर फिसल गई और पीएम मोदी को डिफाल्टर तक कह दिया है। इससे महंत जी के बयान से बीजेपी के भी बर्दाश्त की सारी सीमाएं टूट गई। लिहाजा, विपक्ष को कुत्ते की पूंछ की तुलना करने वाले पोस्ट से एक फिर छत्तीसगढ़ की सियासत में वाक युद्ध भड़क उठा।
कांग्रेस के शासनकाल में रायपुर के स्मार्ट सिटी बनाने की बात हो या गौठान की। इनकी हालत तो कांग्रेस की सरकार रहते ही खस्ता हालत हो गई थी। कांग्रेस कह रही है कि अभी 18 लाख गरीबों के आवास नहीं बने हैं। जिस पर बीजेपी पलटवार करके कांग्रेस के आरोपों की धज्जियां उड़ा देती है। क्योंकि तर्क है कि कांग्रेस की भूपेश सरकार ने ही पीएम आवास को रोक रखा था, जिसे लेकर भूपेश को जिम्मेदार ठहराते हुए मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत व ग्रामीण मंत्रालय से इस्तीफा दिया था। वैसे भी बात जनता से छिपी नहीं है। इसके अलावा सत्ता के लिए चले कांग्रेस में सत्ता संघर्ष की चली फिक्चर के चलते जनता यह समझ रही है कि कांग्रेस में सत्ता लोलुपता का भाव है। जिसे सच साबित करने में बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
कांग्रेस कह रही है कि इडी-आईटी व सीबीआई बीजेपी के राजनैतिक हथियार है। इस पर बीजेपी का कहना है कि कोर्ट में सभी मामले चल रहे हैं। अगर निर्दोष होते तो कोर्ट से जमानत मिल जाती है। इसमें बीजेपी का कहीं से भी लेना देना नहीं है, जो भ्रष्टाचार किए हैं, उन पर संवैधानिक कार्रवाई तो होगा ही। पीएम मोदी ने भी अपने व्यक्तब्य में कहा है कि भाजपा का नारा है भ्रष्टाचार हटाओ और कांग्रेस का नारा है भ्रष्टाचारी बचाओ।
बरहाल, इसमें कितनी सच्चाई है ये तो संवैधानिक संस्थाओं पर छोड़ना उचित होगा। लेकिन जनता इन सियासी बयानों को सुन और देख रही है। इससे लोकसभा के चुनाव पर कितना फर्क पड़ता है। ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
यह भी पढ़ें : असंतुष्टों को मनाने के लिए कांग्रेस की रणनीति! लोस क्षेत्रों में नेताओं को जिम्मेदारी