रायपुर। विधानसभा और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में करारी हार के बाद कांग्रेस (Congress) एक बार फिर से खड़ी होने की कोशिश करती दिख रही है। लेकिन अभी तक लोकसभा हार के पीछे क्या कारण रहे, और इसके हार के लिए किसकी जिम्मेदारी है। इस पर कोई खास निष्कर्ष संगठन की ओर से अभी तक निकलकर सामने नहीं आ पाया है। इतना जरूर है कि मीडिया में कांग्रेस के तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं। जिसका आधार कांग्रेस के संगठन में चली गुटबाजी का जिक्र और भूपेश की पूर्ववर्ती सरकार में हुए भ्रष्टाचार के साथ-साथ पीएम आवास पर रोक सहित कई ऐसे कारण है। बहरहाल, इस पर कांग्रेस की बैठक होने वाली है।
बताया जा रहा है कि दक्षिण में फिलहाल कितने दावेदार हैं, दावेदारों में चर्चित चेहरे कौन से हैं, किस दावेदार की क्षेत्र में कितनी पैठ है, इन सभी विषयों को लेकर चर्चा की जाएगी। कल की मीटिंग में निष्क्रिय ब्लॉक अध्यक्ष बदलने समेत कई फैसले लिए गए थे।
उप चुनाव से कांग्रेस को आस
रायपुर दक्षिण बीजेपी के लिए अजेय सीट मानी जाती है, लेकिन 8 बार के विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत के बावजूद मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। ऐसे में चर्चा है कि इस बार इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत की राह मुश्किल हो सकती है। कांग्रेस को उप चुनाव से आस है।
कल हुई बैठक में ये हुए फैसले
छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश की कानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाएगी। आगामी विधानसभा उप चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को लेकर सड़क से सदन की लड़ाई लड़ेगी। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की दो मैराथन बैठकें हुई, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए हैं।
हार की जिम्मेदारी पर भी मंथन
कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में बीते छह महीने में 2 बड़े चुनाव विधानसभा और लोकसभा में हार का सामना करना पड़ा है। बड़ी हार के बाद जिम्मेदारों पर हार की जिम्मेदारी तय हो सकती है। 2018 में 90 में से 69 सीट जीतकर सत्ता में आई कांग्रेस दिसंबर-2023 विधानसभा चुनाव में धराशायी हो गई। कांग्रेस को सिर्फ 35 सीट से संतोष करना पड़ा।
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