Chhattisgarh : काम छोड़कर ‘पटवारी’ चले गए हड़ताल पर! जानिए, इसकी बड़ी वजह
By : hashtagu, Last Updated : July 8, 2024 | 5:38 pm
राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ के बैनर तले यह अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू हुआ है। पटवारी काम पर लौटने को तैयार नहीं है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष भागवत ने कहा कि, हमें ऑनलाइन कामकाज करने में इन्हें दिक्कत आ रही है। सरकार की ओर से कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है।
यह सुविधा देने कर रहे मांग
- पटवारी लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर और इंटरनेट की सुविधा दी जाए, लेकिन अभी तक नहीं दी गई है। पटवारी अपने संसाधन से ऑनलाइन काम कर रहे हैं। इसकी वजह से पटवारी पर अतिरिक्त खर्च का भार आ रहा है।
पटवारी को आवश्यक संसाधन, इंटरनेट भत्ता दिया जाए। इन मांगों को लेकर राजस्व सचिव और भू-अभिलेख के संचालक को ज्ञापन भी दिया गया। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस वजह से अब पटवारियों ने काम बंद कर दिया है।
राजस्व मंत्री को भेजा था पत्र
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ की ओर से पत्र भेजा गया है। इसमें पटवारियों ने अपनी 32 सूत्रीय मांग की जानकारी दी थी। 8 जुलाई से आंदोलन का अल्टीमेटम भी दिया था। मंत्री को भेजे पत्र में पटवारियों ने बताया है कि भुइंया सॉफ्टवेयर, जो छत्तीसगढ़ में जमीन के रिकॉर्ड मेंटेन करने का एक डिजिटल सॉफ्टवेयर है।
- इसे लेकर पटवारी ने कहा था कि इसकी विसंगतियों के कारण एक ओर जहां पटवारी को काम करने में परेशानी आ रही है, तो दूसरी तरफ किसान या जमीन के मालिकों को बेवजह कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
राजस्व मंत्री से पटवारियों ने मांग की थी कि, किसानों के हित में सॉफ्टवेयर में आवश्यक सुधार करें। सॉफ्टवेयर की परेशानी के लिए आम लोग पटवारी को जिम्मेदार मान रहे हैं। सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाए और दोषी पर कार्रवाई की जाए। पटवारी को प्रताड़ित करने की बजाय पटवारी का पद ही समाप्त कर दिया जाए। यह बातें मंत्री से पटवारी पत्र के जरिए कह चुके हैं।
सरकार का अभियान प्रभावित
6 जुलाई को पटवारियों के काम काज और राजस्व विभाग के विशेष अभियान का ऐलान खुद राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने किया था। इसके बाद 8 जुलाई को हड़ताल पर पटवारी चले गए। मंत्री ने कहा था कि राजस्व प्रकरणों का पंजीयन और पेशी की तारीख अपडेट नहीं करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
फौती, नामांतरण और बटवारा जैसे प्रकरणों के निराकरण के लिए गांवों में शिविर लगेंगे। इनमें पटवारियों का अहम रोल था। यह शिविर हर जिले में 6 से 20 जुलाई तक आयोजित करने की तैयारी थी। प्रदेश में करीब 5 हजार पटवारी हैं। सभी काम बंद कर चुके हैं।
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