Chhattisgarh : बाघ के खूनी पंजे से बचाएगा स्निफर डॉग, इसकी ये हैं खूबियां
By : hashtagu, Last Updated : December 5, 2024 | 10:28 pm
इसके बाद इस प्रस्ताव को वल्र्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया को भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही स्निफर डॉग स्क्वायड के प्रशिक्षण के लिए जनवरी से प्रारंभ होने वाले प्रशिक्षण सत्र में नाम भेजा जा सकेगा। पत्र में कहा गया है कि यदि किसी योजना या सुझाव के क्रियान्वयन में बजट की आवश्यकता हो, तो प्रस्ताव के साथ प्राक्कलन के साथ मांग पत्र भेजे।
बताते चलें कि बाघों की निगरानी और सुरक्षा बढ़ाने को लेकर वन विभाग, एनटीसीए के अधिकारियों, स्थानीय एनजीओ और विशेषज्ञों की बैठक 18 अप्रैल को हुई थी। इसमें वन्य प्रेमी नितिन सिंघवी ने हर राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, वन्य प्राणी अभयारण्य सहित वन विभाग के प्रत्येक सर्किल में स्निफर डॉग स्क्वायड बनाए जाने और अन्य सुरक्षात्मक उपाय करने के सुझाव दिए थे।
वन विभाग के पास चार स्निफर डॉग
वर्तमान में वन विभाग के पास चार स्निफर डॉग हैं, जो अलग-अलग जिलों में तैनात हैं। कांकेर और रायपुर के जंगल सफारी में जर्मन शेफर्ड डॉग रोजी और वीरा हैं। जबकि, गोमर्दा में बेल्जियम शेफर्ड नस्ल की जूली और जेस्सी है।
सिम्बा और नेरो ने सुलझाए 22 केस
प्रदेश में वन विभाग के पहले स्निफर डॉग बेल्जियम मैलिनाइस ब्रीड सिम्बा और जर्मन शेफर्ड नेरो हैं। दोनों को ग्वालियर के बीएसएफ अकादमी से छह माह की ट्रेनिंग दिलाकर अक्टूबर-2016 में अचानकमार टाइगर रिजर्व लाया गया था। इनकी उम्र करीब ढाई वर्ष थी।
दो वर्षों में ही इनकी मदद से 22 केस सुलझाए गए हैं। इसमें छह पुलिस और 16 वन्यप्राणी संबंधित थे। इन अपराधों में शामिल 98 अपराधियों को पकडऩे में सफलता मिली। सात साल की सेवा के बाद दोनों मार्च-अप्रैल 2023 में रिटायर हो गए।
14 जुलाई को सिम्बा और अगस्त-2024 को नेरो ने अंतिम सांस ली। नितिन सिंघवी ने मांग की थी कि स्निफर डॉग्स को भी रिटायरमेंट के बाद पेंशन दी जाए, ताकि उनके खाने-पीने और दवाई का खर्च की व्यवस्था में कोई कमी न हो।