नई दिल्ली, 13 सितंबर (आईएएनएस)। ब्रेंट क्रूड की कीमतों (Brent Crude Prices) में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से भारत का चालू खाता घाटा 0.5 फीसदी बढ़ जाता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. जयकुमार ने यह बात कही।
इसका कारण यह है कि अच्छी जीडीपी वृद्धि, अच्छी कॉर्पोरेट आय और बाजार में निरंतर फंड प्रवाह का सकारात्मक प्रभाव बढ़ते कच्चे तेल के नकारात्मक प्रभाव को बेअसर कर रहा है। उन्होंने कहा, अगर ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर तक बढ़ जाता है तो स्थिति बदल सकती है। केयरएज रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में हालिया उछाल मुख्य रूप से रूस और सऊदी अरब जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देशों की आपूर्ति में कटौती की घोषणाओं के कारण है।
फिर भी, सुस्त वैश्विक उपभोग मांग से 2024 से शुरू होने वाले इस आपूर्ति-मांग अंतर का प्रतिकार होने की उम्मीद है। खुदरा कीमतें बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) पर खुदरा पेट्रोल/डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाने का दबाव होगा। ऐसे में महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
राजकोषीय संतुलन पर प्रभाव भी न्यूनतम होने की उम्मीद है क्योंकि उच्च ईंधन कीमतों का अधिकांश बोझ तेल विपणण कंपनियां उठाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि शेष वित्तीय वर्ष के लिए भारतीय कच्चे तेल के बास्केट का औसत 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रहता है, तो पूरे साल का चालू खाता घाटा (सीएडी) 20 आधार अंक (बीपीएस) यानी 0.20 प्रतिशत बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 1.8 प्रतिशत हो जाएगा।