शराब घोटाले में पूर्व IAS विवेक ढांड की इंट्री ! ED ने बताया सरगना…तो ‘मुख्य सरगना’ का खुलासा जल्द
By : hashtagu, Last Updated : January 16, 2025 | 7:37 pm
- बहरहाल, अभी ईडी ने अपनी नोट शीट में विवेक ढांड को पूरे घोटाले का सरगना बताया है, जिसके निर्देशन में घोटाले के अहम किरदार अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुण पति त्रिपाठी काम कर रहे थे. यही नहीं विवेक ढांड को इस घोटाले ने हिस्सेदारी भी मिलना बताया गया है.
बता दें कि ईडी ने एक दिन पहले ही पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को रिमांड पर लिया है. इसके साथ ही ईडी ने अपने दस्तावेजों में पूरे घोटाले का खाका खींचा है, जिसमें बताया गया कि किस तरह से पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक ढांड के निर्देशन में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुण पति त्रिपाठी ने फरवरी 2019 से लेकर जून 2022 के बीच 2 हजार 161 करोड़ की अवैध कमाई की।
किस तरह से ये लोग शराब कंपनियों से शराब का अवैध उत्पादन करवाकर उसकी सप्लाई का सिंडिकेट चलाते थे, और बदले में कंपनियों से इन्हें कमीशन मिलता था. इस पूरे घोटाले का ताना बाना बुनने से लेकर अंजाम देने तक पूरा ब्योरा FIR में दिया गया है।
ED ने कार्रवाई पर क्या खुलासा किया
28 दिसंबर 2024 को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश कवासी के घर छापा मारा था। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा के बंगले पहुंची थी। पूर्व मंत्री की कार को घर से बाहर निकालकर तलाशी ली गई। साथ ही, कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा जिले में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई।
आपत्तिजनक रिकॉर्ड भी मिले
ED ने X पर लिखा था कि, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया।
ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।
घोटाले की रकम 2161 करोड़
निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है ।
2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई।
पार्ट-A कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
पार्ट-C कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।
यह भी पढ़ें : जांच की हांडी पर ‘शराब’ घोटाला : क्या अब ‘भूपेश’ की बारी ?.. नितिन नबीन का बड़ा संकेत…