हवा-हवाई : नेता जी ‘चला-चली’ की बेला में…

'लकदक कुर्ता पायजामा' और महंगे 'शूज' पहने और चश्मा लगाए स्टाइल मारते। लंबी-लंबी डींगे हांकते, जो भी मिले उससे कहते, सब हो जाएगा।

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  • Updated On - August 6, 2024 / 07:23 PM IST

रायपुर।लकदक कुर्ता पायजामा’ और महंगे ‘शूज’ पहने और चश्मा लगाए स्टाइल मारते। लंबी-लंबी डींगे हांकते, जो भी मिले उससे कहते, सब हो जाएगा। मियां एक जमाना था, जब उनकी ऐसे चलती थी कि जैसे हवा महल। इनके आका जब पावर में आए तो इनके लिए नियम तक बदल दिए। फिर क्या था, कई वर्षों से शहरी सरकार में अपनी पैठ जमाए भैया जी, किनारे हो गए। क्योंकि उन्हें पता था कि अब उनकी नहीं चलेगी। ऐसे में दोनों हाथों से नेता जी (Netaji) ने जमकर 5 साल काले-पीले करते रहे। इतना ही अपने ‘सियासी आका’ ने उनके भाईजान को भी शह दे दिया था। इसके बाद दोनों की जोड़ी भी खुल्लमखुल्ला खेल करने लगी। इनकी कमाई का कोई हिसाब नहीं, अद्श्य देवी लक्ष्मी जी, कहीं और ठिकाने पर रख दी गई।

  • दाल में नमक इतना ज्यादा खाने लगे धीरे-धीरे पूरी दुनिया को पता चल गया। इनकी अकूत कमाई (Huge income)पर जांच एजेंसियों की नजर पड़ गई। इससे ‘रंगा-बिल्ला’ की जोड़ी ऐसी बिखरी की एक जेल में भेल खा रहा तो दूसरा बाहर भेल पूड़ी। खैर, जेल से छूटते ही फिर फंस गए और इनके गले में ‘होलो..’ की रस्सी अटक गई।

इधर,  नेता जी अपने भाईजान को एजेंसियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए हांफते नजर आ रहे हैं। लेकिन अब नगरीय निकाय का चुनाव सिर पर आ गया है ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ गई है और इधर उनकी ही पार्टी के दावेदार खुश हैं, ऐसे में उनका खुश होना भी लाजमी है। क्योंकि 5 साल पूर्व बड़े भाईजान ने सबके पत्ते काट दिए थे। इस बार तो उनके ‘आका’ की बैंड बजी हुई है। इसके चलते अभी से भाईजान की पार्टी के लोग उनके टिकट नहीं दिए जाने की पैरवी संगठन में कर रहे हैं। चर्चा है कि शहर के ‘चमक-दमक’ के नाम पर करोड़ों फूंक दिए लेकिन जमीन पर शून्य बटा सन्नाटा ही है। रही सही कसर उनकी भाई के ‘होलो.. वाले भूत’ ने तो अब बोलत के जिन्न को भी पिछाड़ दिया है।

  • भाईजान नेती जी के रातों की नींद उड़ी है, क्या करें अब तो टिकट मिलना दूर है। अगर जनता इनकी कुर्सी को तय करेगी। लेकिन शहर के सूरत-ए-हाल सुधारने में पीछे रह गए। इसके चलते लोगों का मन भी भर चुका है। चुनाव के वक्त लोग उनको भर-भर के देंगे। इससे घबड़ाए नेता जी हर ‘जुगाड़ मेंट’ की तलाश में भटकते सियासी जिन्न हो गए हैं, उन्हें पता है कि इस बार तो कोई चांस नहीं है। चला-चली की बेला में उनके सियासी राग छेड़ने पर उनकी भद्द पिट जा रही है। काजल की कोठरी में दाग लगे बेहिसाब।

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