रायपुर। ‘लकदक कुर्ता पायजामा’ और महंगे ‘शूज’ पहने और चश्मा लगाए स्टाइल मारते। लंबी-लंबी डींगे हांकते, जो भी मिले उससे कहते, सब हो जाएगा। मियां एक जमाना था, जब उनकी ऐसे चलती थी कि जैसे हवा महल। इनके आका जब पावर में आए तो इनके लिए नियम तक बदल दिए। फिर क्या था, कई वर्षों से शहरी सरकार में अपनी पैठ जमाए भैया जी, किनारे हो गए। क्योंकि उन्हें पता था कि अब उनकी नहीं चलेगी। ऐसे में दोनों हाथों से नेता जी (Netaji) ने जमकर 5 साल काले-पीले करते रहे। इतना ही अपने ‘सियासी आका’ ने उनके भाईजान को भी शह दे दिया था। इसके बाद दोनों की जोड़ी भी खुल्लमखुल्ला खेल करने लगी। इनकी कमाई का कोई हिसाब नहीं, अद्श्य देवी लक्ष्मी जी, कहीं और ठिकाने पर रख दी गई।
इधर, नेता जी अपने भाईजान को एजेंसियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए हांफते नजर आ रहे हैं। लेकिन अब नगरीय निकाय का चुनाव सिर पर आ गया है ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ गई है और इधर उनकी ही पार्टी के दावेदार खुश हैं, ऐसे में उनका खुश होना भी लाजमी है। क्योंकि 5 साल पूर्व बड़े भाईजान ने सबके पत्ते काट दिए थे। इस बार तो उनके ‘आका’ की बैंड बजी हुई है। इसके चलते अभी से भाईजान की पार्टी के लोग उनके टिकट नहीं दिए जाने की पैरवी संगठन में कर रहे हैं। चर्चा है कि शहर के ‘चमक-दमक’ के नाम पर करोड़ों फूंक दिए लेकिन जमीन पर शून्य बटा सन्नाटा ही है। रही सही कसर उनकी भाई के ‘होलो.. वाले भूत’ ने तो अब बोलत के जिन्न को भी पिछाड़ दिया है।
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