नई दिल्ली, 01 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय इतिहास के पन्नों को पलटते हुए जब भी स्वतंत्रता सेनानियों की बात होगी तो बाल गंगाधार तिलक (Bal Gangadhar Tilak) का जिक्र जरूर होगा। वह भारतीय इतिहास, संस्कृत, गणित जैसे विषयों के प्रख्यात चिंतक थे। वही जिन्होंने कहा था ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।’ गुरुवार को बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि है। चलिए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें…
बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 13 जुलाई 1856 को हुआ। उनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था। पिता संस्कृत विषय के प्रख्यात विद्वान थे।माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर तिलक था। बाल गंगाधर तिलक ने पुणे के डेक्कन कॉलेज से संस्कृत और मैथ्स में डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने मुंबई के कॉलेज से एलएलबी पास की। हालांकि, 16 साल की उम्र में उनके माता-पिता का देहांत हुआ। यहां से बाल गंगाधार के जीवन का संघर्ष शुरू हुआ। बाल गंगाधर तिलक का विवाह सत्यभामा नाम की लड़की से साल 1871 में हुआ।
बाल गंगाधार तिलक अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पुणे के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगे। वह स्कूल में मैथ्स और अंग्रेजी पढ़ाते थे। हालांकि, उनके पढ़ाने के स्टाइल से अन्य शिक्षकों के साथ विवाद हुआ तो उन्होंने आगे स्कूल में पढ़ाना छोड़ दिया। स्कूल में भारतीय छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर वह विरोध जताते थे।
जब वह स्कूल से निकले तो उन्होंने ठान लिया था कि शिक्षा के स्तर को सुधारना है। इसलिए उन्होंने दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की। उन्होंने दो समाचार पत्रों, जैसे मराठा दर्पण और केसरी नाम से दो अखबार निकाले। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से पूर्ण स्वराज देने की मांग की। इस मुद्दे को अपने अखबार में कई बार छापा। अखबार काफी लोकप्रिय था। लेकिन, इसी कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। लोगों के बीच काफी चर्चित थे। आम जन मानस इन्हें पसंद भी खूब करता था इसलिए आगे चलकर लोकमान्य तिलक की उपाधि दी गई। गरम दल के ये नेता दिन 1 अगस्त 1920 को दुनिया से विदा हो गए। इनके अंतिम संस्कार में लाखों की तादाद में लोग जुटे जिनमें महात्मा गांधी भी शामिल थे। महात्मा गांधी ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा था।