नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रविवार को 112वीं बार मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। एक बार फिर जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर राय रखी और मैथ्स ओलंपियाड में भारत की धाक जमाने वाले छात्रों से बात की। पीएम ने अहोम सम्राज्य के चराईदेव मैदाम और प्रोजेक्ट परी से जुड़ी जानकारी भी साझा की।
पीएम बोले, इससे जहां हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है, वहीं हमारे कल्चर को और ज्यादा पॉपुलर बनाने में भी मदद मिलती है। उदाहरण के लिए दिल्ली के भारत मंडपम को ही लीजिए। यहां देश भर के अद्भुत ऑर्ट वर्क आपको देखने को मिल जाएंगे। दिल्ली में कुछ अंडरपास और फ्लाईओवर पर भी आप ऐसे खूबसूरत पब्लिक ऑर्ट देख सकते हैं | मैं कला और संस्कृति प्रेमियों से आग्रह करूंगा कि वे भी पब्लिक आर्ट पर और काम करें। ये हमें अपनी जड़ों पर गर्व करने की सुखद अनुभूति देगा।
उन छात्रों से भी बात की जिन्होंने मैथ ओलंपियाड में देश का नाम रोशन किया है। कहा, स्पोर्ट्स की दुनिया के इस ओलंपिक से अलग, कुछ दिन पहले मैथ्स की दुनिया में भी एक ओलंपिक हुआ है। इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड, इस ओलंपियाड में भारत के स्टूडेंट्स ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें हमारी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीता है। इसमें 100 से ज्यादा देशों के युवा हिस्सा लेते हैं और हमारी टीम टॉप पांच में आने में सफल रही। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलिंपियाड विजेताओं से फोन पर बात की।
उन्होंने आगे कहा कि ‘मन की बात’ में, अब मैं उस विषय को साझा करना चाहता हूं, जिसे सुनकर हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा। लेकिन, इसके बारे में बताने से पहले मैं आपसे एक सवाल करना चाहूंगा। क्या आपने चराईदेउ मैदाम का नाम सुना है? अगर नहीं सुना, तो अब आप ये नाम बार-बार सुनेंगे और बड़े उत्साह से दूसरों को बताएंगे।
असम के चराईदेउ मैदाम को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया जा रहा है। इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन नार्थ ईस्ट की पहली साइट होगी। आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि चराइदेव मैदाम आखिर है क्या, और ये इतना खास क्यों है। चराईदेउ का मतलब है शाइनिंग सिटी ऑन द हिल यानी पहाड़ी पर एक चमकता शहर। ये अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे।
मैदाम, टीले नुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं। ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का ये तरीका बहुत यूनिक है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी।
पीएम मोदी ने बताया कि अहोम साम्राज्य के बारे में दूसरी जानकारियां आपको और हैरान करेंगी। 13वीं शताब्दी के शुरू होकर ये साम्राज्य 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है। शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे, कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा।
मुझे याद है कि इसी वर्ष 9 मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक, महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान, अहोम समुदाय आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था।
लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। अब चराईदेउ मैदाम के वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनने का मतलब होगा कि यहां पर और अधिक पर्यटक आएंगे। आप भी भविष्य के अपने ट्रेवल प्लॉन में इस साइट को जरूर शामिल करिएगा।
–आईएएनएस
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