ईडी की ऑफिस में सबको लखमा ने कहा-राम-राम ! शराब घोटाले की पूछताछ शुरू

By : madhukar dubey, Last Updated : January 3, 2025 | 1:17 pm

रायपुर । छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंचे। शराब घोटाला मामले में निदेशालय को कवासी के खिलाफ सबूत मिले हैं। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि कवासी अवैध शराब बिक्री पर कमीशन लिया करते थे। इस मामले में उन्हें नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

शुक्रवार को सुबह 11:00 के आसपास कवासी प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंचे सभी को राम-राम कहते हुए वह लिफ्ट से प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में दाखिल हुए।

लखमा के खिलाफ एक्शन ले सकती है ईडी

इससे पहले ED सबूतों का दावा करते हुए शराब कारोबारी और रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी समेत 5 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे ही लखमा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

लखमा ने क्या कहा था, पढ़िए पूरा बयान

जब ED वाले आए थे, तो मेरे से कागज मांग रहे थे, कागज सब गांव में थे। समय मांगा था, जो जो कागज मांग रहे वो दूंगा। हर आदमी को कानून का सम्मान करना चाहिए। मैं भी सम्मान करूंगा। जब भी बुलाएंगे जाऊंगा। मैं सच्ची बात करूंगा। मैं सच्चा आदमी हूं। मैं राजनीतिक मुद्दों और मीडिया के सवालों पर जवाब अभी नहीं दूंगा। नियम कानून का सम्मान करता रहूंगा।

ED ने कार्रवाई पर क्या खुलासा किया

28 दिसंबर 2024 को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश कवासी के घर छापा मारा था। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा के बंगले पहुंची थी। पूर्व मंत्री की कार को घर से बाहर निकालकर तलाशी ली गई। साथ ही, कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा जिले में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई।

आपत्तिजनक रिकॉर्ड भी मिले

ईडी ने X पर लिखा कि, ​​​​​​छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया।

ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।

कवासी को 2161 करोड़ कमीशन मिला

निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमिशन मिला है ।

  • 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई।

भाग-ए कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।

भाग-बी कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।

पार्ट-सी कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।

विदेश में रील बना रहा ओझा

वहीं, दूसरी तरफ मामले में फंसे इनके करीब सुशील ओझा विदेश में पार्टी कर रहे हैं। खुद वहां से वीडियो रील बनाकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड कर रहे। माफिया-डॉन वाले डायलॉग और रॉबदार म्यूजिक बैकग्राउंड में अपने वीडियो बना रहा है। ED ने इसके चौबे कॉलोनी स्थित घर से कई दस्तावेज जब्त करने की बात कही है।

लखमा के बदले सुर

कवासी लखमा के घर पर छापे के बाद लखमा के सुर बदल गए हैं। जब इस मामले में सबसे पहले ढेबर और त्रिपाठी को ED ने पकड़ा भाजपा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया। लोकसभा चुनाव में बस्तर से कवासी ही प्रत्याशी थे, तब ACB ने भी इस केस में उन पर FIR की।

तब दिए इंटरव्यू में लखमा ने कहा था कि ये भाजपा का प्रोपेगैंडा है। हम साफ-सुथरे लोग हैं आदिवासी लोग ऐसा काम नहीं करते। कोई घोटाला नहीं हुआ है, हुआ है तो पकड़ के दिखाएं। पैसे कहां है दिखाएं, मेरे प्रति माहौल खराब करने का प्रयास हो रहा है। इसकी हमें परवाह नहीं है।