रायपुर। नेता जी का कुर्ता टाइट करेंगे निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव (Civic and three-tier panchayat elections) में फाइट। अब तक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी की चुनावी प्रचार प्रसार में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है। और इतना ही नहीं बूथ मैनेजमेंट के साथ-साथ अपने बूथ पर पार्टी को सबसे ज्यादा वोट दिलाए हैं। खैर, अब तो बूथ संभालने वाले और संगठन के लिए दिन रात बीते चुनावों में मेहनत करने वाले नेता जी अपना भाग्य निकाय और त्रि-स्तरीय चुनाव में आजमाना चाहते हैं क्योंकि वे जमीन से जुड़े हैं, यही वक्त भी है, खुद की लोकप्रियता को नापने का। लेकिन इसमें अभी सबसे बड़ा लोचा यानी संशय है कि उनके समर्थन चुनाव के दौरान क्या नारे लगाएंगे कि ‘सुनो, सुनो भइया’ कुर्सी पर बटन दबाकर की या बैलेट पर ठप्पा मारकर भैया को जीतना है। इसके आलवा निकाय और त्रि-स्तरीय चुनाव भी साथ होंगे या अलग-अलग इन जैसे सवालों को लेकर अभी चुनाव लड़ने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधि बनाने की चाह रखने वाले नेताओं में संशय है।
बहरहाल, जो भी होगा, किस्मत तो नेताजी आजमाएंगे। ऐसे में सभी पार्टियों के दावेदार अपने-अपने वार्डों और पंचायत और निकायों में चुनाव की तैयारी अप्रत्यक्ष रूप में शुरू कर दी है। जैसे वोटर लिस्ट में अपने लोगों का नाम जुड़वाना या संशोधन करवाना जैसे कार्य, क्योंकि अगर चुनाव लड़ना है तो पहले अपने व्यक्तिगत वोटों की गठरी को सहेजना है। अगर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार नहीं बन पाए तो हो सकता है कि निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ना पड़ सकता है। इसलिए किसी भी प्रकार की तैयारी में कमी नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि गणेश और दुर्गा पूजनोत्सव की तैयारी में भी चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार समितियों का सहयोग कर रहे हैं। हर एक सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हाेने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।
गौरतलब है कि दिसंबर माह के अंत में नगरीय चुनाव होंगे। इसकी तिथि वैसे अभी तय नहीं हुई है। लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग इसकी तैयारी में जुट गया है। सभी दलों में कौतूहल का विषय है कि क्या निकाय चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव होंगे, क्योंकि 2018 में जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई थी तो दो बदलाव किए गए थे। महापौर का निर्वाचन पार्षदों के माध्यम से हुआ था। दूसरा ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से मतदान कराए गए थे। अब ‘क्या’ इन बदलावों को भाजपा की सरकार पलटेगी ?.. जिस पर अभी कुछ साफ संकेत तो नहीं मिले हैं? पर कुछ अवसरों पर नगरीय निकाय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने बीते दिनों कहा था कि विचार-विमर्श के बाद बदलाव किए जा सकते हैं। बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा चली थी, कि सरकार इस पर संशोधन विधेयक ला सकती है।
विधानसभा सत्र के दौरान नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय चुनाव एक साथ कराने के लिए मांग उठी थी, ऐसे में अशासकीय संकल्प भी लाया गया था। इसके बाद नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने घोषणा की थी कि इसके लिए एक समिति गठित होगी। इसमें जनता से एक साथ चुनाव कराने के लिए सुझाव मांगे जाएंगे। इसके लिए अब 17 अगस्त तक निर्धारित तिथि भी बीत गई है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या सुझाव आए और सरकार का क्या फैसला होता है ?
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